बैतूल: बैतूल के 200 से ज्यादा बेरोजगार युवकों को नागपुर मेट्रो में नौकरी के नाम पर ठगने का मामला सामने आया है. सरकारी आईटीआई में प्लेसमेंट के लिए लगाए गए फेयर में आई नागपुर की एक कंपनी पर ठगी के लिए झांसेबाजी करने का आरोप है. बेरोजगार युवकों का आरोप है कि उन्हें झांसेबाजी का पता तब चला जब कंपनी ने 40 फीसदी अंक वालों को भी ऑफर लेटर दे दिया था.
ठगे गए युवकों ने गुरुवार को इस मामले में बैतूल कलेक्टोरेट पहुचकर इंसाफ दिलाने और उनकी रकम वापस दिलाने की मांग की है. एनएसयूआई के नेतृत्व में युवकों ने ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि 15 दिन में पैसे वापस नहीं मिले वे बैतूल के गवर्नमेंट आईटीआई का घेराव करेंगे.
आईटीआई बैतूल में विभिन्न ट्रेड के ट्रेनी रहे युवकों में से एक नीलेश ने बताया कि पिछले 14 नवम्बर 2020 को नागपुर की कंपनी रिम्स ग्रुप ने आईटीआई बैतूल में एक सेमिनार किया था. यहां जिन छात्रों का 80 प्रतिशत परीक्षा परिणाम था. उनको जॉब के लिए तो चयन किया ही गया, 40 प्रतिशत वालों को भी ऑफर लेटर दे दिए गए.
इसके बाद 12 दिसम्बर 2020 को नागपुर बुलाकर सभी से 1250 रु जमा करवा लिए गए. बैतूल से नागपुर पहुचे ऐसे छात्रों की तादाद करीब 200 थी. सभी से कहा गया कि उनसे लिए गए पैसे यूनिफॉर्म के लिए हैं. लॉकडाउन खुलते ही उन्हें नागपुर मेट्रो में टेक्नीशियन के पद पर नौकरी दे दी जाएगी. अब सालभर हो गए हैं, कम्पनी में फोन करने पर कोई नहीं उठाता. यहां तक कि जो लोग कॉल करते हैं उनके मोबाइल नम्बर ब्लॉक कर दिए जाते हैं.
युवकों ने इस मामले में सरकारी आईटीआई के प्रिंसिपल पर भी मिली भगत का आरोप लगाया है. इधर, प्रिंसिपल सतीश खर्चे का कहना है कि हम सम्बंधित कम्पनी को नोटिश भेज रहे हैं. उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है. अगर जल्द कम्पनी ने स्पष्टीकरण नहीं दिया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी.
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