उज्जैन। इस साल नागपंचमी पर बेहद खास और दुर्लभ योग बन रहे हैं। ये योग कई साल बाद बन रहे हैं, ऐसा ज्योतिष विद्वानों का मत है और राहू-केतु के दोषों के अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नागपंचमी के दिन लग रहे इस योग में अगर पूजा की जाए तो राहू और केतु दोषों के अलावा कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिल सकती है। इस बार नागपंचमी पर उत्तरा और हस्त नक्षत्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इसके अलावा कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए इस दिन परिगणित और शिव नामक योग भी लग रहे हैं। इस दिन खास तरीके से पूजा करके लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के दूसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है और इस वर्ष भी नागपंचमी पर गत वर्ष की तरह ही ऑनलाईन बुकिंग करने वाले श्रद्धालुओं को यहाँ दर्शनों की परमिशन दी जाएगी। कोरोना संक्रमण के चलते यहाँ भीड़ नहीं लगने दी जाएगी। इसके अलावा नागपंचमी पर नगर के अन्य नाग देव के स्थानों पर पूजन का सिलसिला दिनभर चलेगा।
मान्यता के अनुसार
नागपंचमी के दिन पूजा करने से राहू-केतु से बनने वाले दोष और अशुभता से राहत मिलती है। नागपंचमी पर राहू और केतु की पूजा का विशेष योग बनने से इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है, क्योंकि शिव के अलावा अन्य सभी देवी-देवता पाताललोक में जाकर निंद्रासन में चले जाते हैं। नागपंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन नागदेवता के साथ भगवान शिव की पूजा होती है और उनका रुद्राभिषेक किया जाता है। इससे राहू और केतु का बुरा प्रभाव खत्म होता है।
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