इंदौर। अपने सिपहसालार तुलसी सिलावट की सीट बचाने के लिए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को फिर से सांवेर में प्रचार के लिए जाना पड़ा और कम्पैल में आयोजित भीड़ भरी सभा में उन्होंंने जमकर हमले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर बोले। अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए सिंधिया अधिक आक्रामक नजर आए और खुद को गद्दार कहे जाने के आरोपों पर भी जवाब दिया कि सरकार गिराने की नौबत क्यों आई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ ने कोई निवेश तो नहीं लाया, उल्टा भ्रष्टाचार का अड्डा वल्लभ भवन को बना दिया, जिसमें नाथ बोली लगाते और दिग्गी वसूली पटेल बन बैठे थे।
कांग्रेस सरकार को सड़क पर लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में 10वें स्थान पर हैं। इस सवाल का जवाब भी उन्होंने मीडिया को यह कहते हुए दिया कि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वे तो जनसेवक हैं और पोस्टर-बैनर की राजनीति में भी नहीं पड़ते हैं। नाथ-दिग्गी की जोड़ी पर हमले बोलते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि 40 साल से जनता इस जोड़ी के कारनामे देख रही है। चुनाव में तो एक मुखौटा सामने आता है और चुनाव के बाद गायब होकर असली चेहरा दिखता है। मैंने सोचा था, कमलनाथ उद्योगपति हैं और वे प्रदेश में बड़े-बड़े निवेश लाएंगे, लेकिन पता चला कि उन्होंने तो तबादला उद्योग ही खोल दिया और वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया, जहां हर बात की बोली लगती रही और दिग्गी का पर्दे के पीछे छुपा चेहरा सामने आ गया, जो वसूली पटेल के रूप में काम करता रहा। श्री सिंधिया ने 4 विधानसभा क्षेत्रों में इसी तरह की सभाएं लेकर जमकर हमले बोले और सरकार गिराने के कारण भी जनता को बताए और भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार कांग्रेस के लिए बताया और अपनी रणनीति को भी उन्होंने बदल लिया।
सिलावट खिसकाते जूते, उसके पहले सिंधिया ने हटाए
सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया कुर्सी से नीचे उतरकर मंच पर बैठ गए और कन्या पूजन भी किया। इस दौरान श्री सिंधिया ने अपने जूते उतारे और फिर आलती-पालती मारकर बैठ गए। पीछे खड़े तुलसी सिलावट भी नीचे बैठने को जूते और सिंधिया के जूते खसकाने लगे, उसके पहले ही सिंधिया ने अपने हाथों से जूतों को एक तरफ कर दिया, फिर सिलावट भी उनकी बगल में बैठ गए। हालांकि कांग्रेस ने इसे भी मुद्दा बनाने का प्रयास किया।
कार्यकर्ताओं से मिले… मास्क लगाने की भी दी हिदायतें
अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह मशहूर था कि वे कम ही मिलते-जुलते हैं। मगर भाजपा में आने के बाद से उन्होंने इस धारणों को भी तोडऩा शुरू कर दिया है। पिछले दिनों वे खुद भाजपा के विधायकों-नेताओं के घर मिलने गए, तो कल भी सभा स्थल पर भी कार्यकर्ताओं से आत्मियता से मिले और कइयों को मास्क लगाने, कोरोना संक्रमण से बचने की हिदायतें भी दीं और कई भाजपा नेताओं से आत्मियता से गुफ्तगू कर चुनावी रणनीति भी जानी।
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