इंदौर। ऊपर वाले ने जिन्हें कुछ शारीरिक कमियों के साथ दुनिया में भेजा उसी ऊपर वाले के ही बन्दों की संस्था जयपुर फुट सेंटर ने उनकी शारीरिक कमियों को आर्टिफिशयल मतलब कृत्रिम अंगों के जरिये उन्हें चलने, फिरने, सुनने, काम करने के काबिल बना दिया । आसमान वाले भगवान की गलतियां जमीन वालों ने सुधारकर सैकड़ों लोगों को आत्मनिर्भर बनाकर पीडि़त दिव्यांग और उनके परिजनों के चेहरे पर न सिर्फ मुस्कान ला दी है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भरी नई जिंदगी और नई उड़ान दी है
हाईकोर्ट की मानवीय पहल के चलते एमवाय हॉस्पिटल में पिछले 10 महीने में जयपुर फुट सेंटर ने आर्टिफिशियल यानी कृत्रिम अंगों के लगभग 800 दिव्यांगों को जरूरी अंगों के अलावा कई उपकरण मुफ्त में उपलब्ध कराए हैं। जिन दिव्यांगों को मदद की गई है उनमें हर प्रकार के दिव्यांग शामिल हैं। किसी के हाथ या पैर नहीं है तो किसी को कान से सुनाई नहीं देता
इन सबको उनकी जरूरत के हिसाब से नि: शुल्क आर्टिफिशियल अंग के अलावा बैसाखी, एल्बो स्टिक व्हील चेयर, ट्राईसिकल, सुनने की मशीन मुफ्त में मुहैया कराई जा रही है। जयपुर फुट सेंटर की नि:शुल्क मदद के चलते सैकड़ो ं दिव्यांग अब किसी अन्य की मदद के मोहताज या मजबूर नहीं हंै। एमवाय हॉस्पिटल में पिछले साल 2022 नवंबर में उच्च न्यायालय की पहल पर महावीर विकलांग सहायता जयपुर के माध्यम से दिव्यांगों के लिए जयपुर सेंटर की स्थापना की गई थी। तब से अब तक यानी अगस्त 2023 तक 766 दिव्यांगों को आर्टिफिशियल लिंब, हैंड, कैलिपर्स, व्हील चेयर , बैसाखी, घुटने के जोड़, सुनने की मशीन, वॉकिंग स्टिक, फोल्डिंग वाकर के जरिए आत्मनिर्भर बनाया गया है।
एमवाय भी 1978 से बना रहा है आर्टिफिशयल अंग और मेडिकल हेल्प आइटम
पिछले साल नवंबर माह 2022 में जयपुर फुट सेंटर की स्थापना के पहले एमवाय हॉस्पिटल में कृत्रिम अंग केंद्र 1978 से स्थापित है, जो दुर्घटना में अपने अंग खो चुके लोगों के अलावा पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों सहित दिव्यांगों के लिए लगभग 100 प्रकार के मेडिकल हेल्प आइटम बनाता आ रहा है। यह 15 दिन के बच्चे से लगाकर हर उम्र के जरूरतमंदों के लिए आर्टिफिशियल मेडिकल हेल्प पार्ट बनाता आ रहा है। एमवाय के पुराने कृत्रिम अंग केंद्र में सारे मध्यप्रदेश के लगभग सभी जिलों के मरीज और जरूरतमंद दिव्यांग मेडिकल हेल्प आइटम और आर्टिफिशियल अंग बनवाने आते हैं।
यह फर्क है दोनों में
जयपुर फुट सेंटर और एमवायएच के लगभग 45 साल पुराने कृत्रिम अंग में सिर्फ यह अंतर है कि जयपुर फुट सेंटर में सिर्फ कृत्रिम हाथ या पैर बनाकर जरूरतमंदों को मुफ्त में दिए जाते हैं तो वहीं एमवायएच कृत्रिम अंग केंद्र नो प्रॉफिट-नो लॉस पॉलिसी के तहत लागत के हिसाब से राशि लेता है।
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