नई दिल्ली (New Delhi) । म्यांमार (Myanmar) में विद्रोही गुटों के गठबंधन ने कहा है कि हाल के दिनों में देश के उत्तर में लगातार युद्धविराम का उल्लंघन (Ceasefire violations) हुआ है, जिसके लिए जुंटा शासन जिम्मेदार है। इसमें चीन भी जुंटा (junta) की मदद कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक हताहत हो रहे हैं। चीन ने जनवरी में जुंटा और थ्री ब्रदरहुड एलायंस के बीच एक संघर्ष विराम के लिए मध्यस्थता की थी। इस पर विद्रोही गुटों को कहना है कि उनकी ओर से शर्तों का पालन किया जा रहा है लेकिन जुंटा सीजफायर को तोड़ रहा है। बीते कई महीने से चल रही हिंसा की वजह से चीन की दक्षिणी सीमा पर पांच लाख लोगों का विस्थापन हुआ है।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए), म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), और अराकान आर्मी (एए) युद्धविराम का हिस्सा थे। सीजफायर में यहां के ज्यादातर क्षेत्रों को रखने की अनुमति विद्रोहियों को मिली थी। 19 जून को जुंटा सैनिकों ने माणिक और रत्न खनन के केंद्र मोगोक के करीब टीएनएलए के कब्जे वाले इलाके पर हवाई हमला किया। टीएनएलए ने इस घटना में एक नागरिक की मौत होने और 10 साल के बच्चे सहित 3 घायल होने की बात कही है। टीएनएलए ने कहा कि 18 जून को भी जुंटा सैनिकों ने एक ड्रोन हमला किया था, जिसमें टीएनएलए के एक सदस्य की मौत हुई और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ये हमले इस महीने जुंटा द्वारा किया गया नवीनतम सीजफायर उल्लंघन है।
चीन की भूमिका पर भी सवाल
बीते साल अक्टूबर में विद्रोही गुटों के एलायंस ने उत्तरी म्यांमार में हमला करते हुए कई कस्बों और सीमा केंद्रों पर कब्जा कर लिया, जो चीन के साथ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण थे। इससे जुंटा के सामने नकदी की कमी हुई और वह अलग-थलग पड़ गया। जुंटा-नियंत्रित मीडिया ने पिछले सप्ताह बताया कि अप्रैल-मई के दौरान चीन के साथ सीमा व्यापार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में एक तिहाई कम था। पिछले महीने ही चीन ने कुनमिंग शहर में सेना और गठबंधन के बीच अनुवर्ती शांति वार्ता की मेजबानी भी की थी। हालांकि इससे कुछ ठोस नहीं निकला और दोनों पक्ष आने वाले समय में फिर से साथ बैठेंगे।
म्यांमार की सीमाएं बड़ी संख्या में जातीय सशस्त्र समूहों का गढ़ा हैं, जिनमें से कई ने स्वायत्तता और संसाधनों पर नियंत्रण के लिए लगातार सेना से लड़ाई की है। अब जबकि शान राज्य में लड़ाई शांत हो गई है, एए ने पश्चिमी रखाइन राज्य में अपना आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है, जहां उसका कहना है कि वह जातीय रखाइन आबादी के लिए अधिक स्वायत्तता के लिए लड़ रहा है। इसके लड़ाकों ने भारत और बांग्लादेश के साथ सीमा पर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, जिससे जुंटा पर और दबाव बढ़ गया है क्योंकि यह दक्षिण पूर्व एशियाई देश में अन्य जगहों पर विरोधियों से लड़ रहा है।
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