नई दिल्ली (New Delhi)। नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) के लिए रणनीतिक रूप से अहम अंडमान निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands) से महज 55 किमी दूर म्यांमार (Myanmar) के ग्रेट कोको द्वीप पर रनवे और सैन्य ठिकानों (runway military base) के निर्माण का खुलासा हुआ है। ब्रिटेन स्थित एक थिंक टैंक चैटम हाउस ने दावा किया है कि ये निर्माण चीन (China) कर रहा है। इससे वह बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में भारत की सुरक्षा के लिए नए और गंभीर खतरे पैदा कर सकता है।
चैटम हाउस के अनुसार मुख्य द्वीप पर मौजूद कोको एयरपोर्ट की 1,300 मीटर लंबी हवाई पट्टी को चीन ने ढाई किमी तक बढ़ाया है, एयरबेस के निकट कई सैन्य निर्माण कराए हैं। अंडमान द्वीप समूह भारत के पूर्वी हिस्से बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा को बढ़ाने और मलक्का स्ट्रेट तक नजर रखने में उपयोगी रहे हैं। क्षेत्र में चीन की नौसैनिक गतिविधियों पर भी यहां से नजर रखी जाती है।
चैटम हाउस का दावा है कि अब चीन भारत पर इसी तरह नजर रख सकेगा। म्यांमार की सैन्य तानाशाह सरकार व यहां की सेना तात्मादोव से चीन सहयोग ले रहा है। इससे भारत की नौसेना को नए एयरबेस की चुनौती सहनी होगी।
हिंद महासागर में प्रभुत्व के लिए निवेश
हिंद महासागर को ध्यान में रखते हुए म्यांमार में चीन बड़ा निवेश कर रहा है। मलक्का स्ट्रेट से समुद्री परिवहन पर निर्भरता घटाने के लिए उसने चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे पर दांव लगाया है। इससे उसे करीब तेल व अन्य वस्तुओं के परिवहन के दौरान 1,500 किमी की दूरी कम तय करनी होगी। वह समुद्री परिवहन को भारत की नजर से छिपाना चाहता है।
आशंका है कि चीन तात्मादोव पर दबाव बढ़ाकर नौ-सैनिक फायदे लेगा, ताकि उसे निगरानी के लिए कोको द्वीप से उड़ानें संचालित करने का मौका मिले। उपग्रह तस्वीरों पर काम कर रही आईटी कंपनी मैक्सर द्वारा ताजा तस्वीरों के अनुसार भी ग्रेट कोको द्वीप पर कई हैंगर, सैन्य इमारतों के निर्माण हुए हैं। यह निर्माण निगरानी प्रणाली बेहतर करने की नीयत से किए गए हैं।
इतिहास दोहराया जा रहा
हिंद महासागर में मौजूदगी चीन का 90 के दशक का सपना है। म्यांमार में 1988 में लोकतंत्र का दमन हुआ और उसी दौर में आशंकाएं जताई गईं कि चीन ने कोको द्वीप पर 50 मीटर ऊंचा एंटीना टावर स्थापित किया है। इससे वह सिग्नल ट्रैक करके निगरानी रखेगा।
2005 में भारत ने किया था दौरा
साल 2005 में नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने दावा किया था कि ग्रेट कोको द्वीप पर चीन का कोई सैन्य निर्माण नहीं हुआ है। उसी वर्ष म्यांमार ने भारत के रक्षा अधिकारियों को द्वीप का दौरा करवाया। उस वक्त हवाई पट्टी की पुष्टि हुई, लेकिन चीन की सैन्य मौजूदगी नहीं मिली थी।
म्यांमार में सैन्य शासन को समर्थन दे रहा चीन
चीन सक्रिय रूप से म्यांमार में सैन्य शासन को समर्थन दे रहा है। दक्षिण कोरिया के ईस्ट एशिया फाउंडेशन के शोधकर्ता बेर्टिल लिंटनर ने ग्लोबल एशिया में एक लेख में दावा किया कि चीन म्यांमार को अपनी विदेश नीति में सबसे अहम कड़ी मानता है। खासतौर पर मलक्का की खाड़ी से आयात की संभावित बंदिशों के लिहाज से चीन किसी भी सूरत में म्यांमार को अपने काबू में रखना चाहता है।
म्यांमार के सैन्य शासकों को चीन की तरफ से हर तरह की मदद दी जा रही है, ताकि वे म्यांमार पर पकड़ बनाए रखें। क्योंकि, चीन का मानना है कि एक लोकतांत्रिक सरकार के बजाय सैन्य शासन को अपने हितों के लिए मनाना आसान है। वहीं, म्यांमार में दखल बढ़ान के लिए चीन चाइना-म्यांमार इकनॉमिक कॉरिडोर विकसित कर रहा है। चीन अपने यूनान प्रांत से म्यांमार के क्यॉक प्यू को रेल व रोड के जरिये जोड़ा जाएगा। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में बड़ा बंदरगाह भी विकसित कर रहा है।
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