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Myanmar: भूकंप से भारी तबाही, बिजली-पानी को तरस रहे लोग, मलबे में तब्दील हुईं इमारतें

  • March 30, 2025

    दिल्ली. म्यांमार (Myanmar) की राजधानी ने-पी-ता (Pee-Tae) में एक दिन पहले आए 7.7 तीव्रता के घातक भूकंप (Earthquake) के बाद शनिवार को भी कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. शनिवार को देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में भी 7.7 तीव्रता का भूकंप आया. जिससे म्यांमार में शनिवार को मरने की वालों की संख्या 1600 से अधिक हो गई. हालांकि, बचाव दल ने दूसरे दिन भी अथक प्रयास जारी रखा.

    शनिवार को विदेशी बचाव दल के अभियान में शामिल होने पर कई शव बरामद किए गए. एक समाचार एजेंसी के अनुसार, म्यांमार की सैन्य सरकार (Military government) के प्रमुख ने 1644 से अधिक मौतों की पुष्टि की, जबकि एक अमेरिकी एजेंसी ने चेतावनी दी कि यह संख्या 10000 से अधिक हो सकती है.


    सार्वजनिक संपति बुरी तरह क्षतिग्रस्त
    शक्तिशाली भूकंप के कारण सड़कें, पुल और अन्य सार्वजनिक अवसंरचनाएं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं. जिसके चलते कई क्षेत्र अभी भी संपर्क से कटे हुए हैं. म्यांमार की सैन्य सरकार ने बताया कि शनिवार को आए भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,644 हो गई है. जबकि कम से कम 2,400 लोग घायल हुए हैं. कई इलाकों में बचाव अभियान जोरों पर है, लेकिन क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों के कारण कई स्थानों तक पहुंचना अभी भी मुश्किल है.

    भूकंप में जीवित बचे शख्स ने बताई भयावह कहानी
    शनिवार को आए भूकंप में बचे हुए लोगों ने तबाही के मंजर की कहानी साझा की. एक व्यक्ति ने बताया कि भूकंप के बाद उसे मलबे से निकाला गया. जिस वक्त भूकंप आया, उस वक्त वह शौचालय में था. व्यक्ति ने कहा कि उसकी दादी, चाची और चाचा अभी भी लापता हैं और उनके बचने का संभावना शून्य हैं.

    PM मोदी ने हर संभव मदद का दिया आश्वासन
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार में सैन्य नेतृत्व वाली सरकार के प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग से बात की और कहा कि भारत तबाही से निपटने में देश के साथ एकजुटता से खड़ा है. उन्होंने एक पोस्ट करते हुए लिखा, “म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से बात की. विनाशकारी भूकंप में जानमाल के नुकसान पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की. एक करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में भारत इस कठिन घड़ी में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है.”

    वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सहायता के लिए भारत की तत्परता की घोषणा के बाद भारत ने वायु सेना के विमान से म्यांमार को सौर लैंप, भोजन के पैकेट और रसोई सेट सहित 15 टन राहत सामग्री भेजी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑपरेशन ब्रह्मा का विवरण साझा करते हुए कहा कि विशेष गियर और खोजी कुत्तों से लैस 80 एनडीआरएफ बचाव दल भी नेपीता के लिए रवाना हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री 40 टन मानवीय सहायता लेकर यांगून बंदरगाह के रास्ते पर हैं.

    थाईलैंड में भूकंप से गिरी इमारत, 9 की मौत
    थाईलैंड के बैंकॉक में भूकंप के दौरान एक गगनचुंबी इमारत ढहने से नौ लोगों की मौत हो गई है. बैंकॉक के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें शहर भर की इमारतों में संरचनात्मक दरारों की 2000 शिकायतें मिली हैं. बैंकॉक के गवर्नर चाडचार्ट सिट्टीपंट ने एक बयान में कहा, “एक निर्माणाधीन इमारत के ढहने के बावजूद, किसी भी पूरी हो चुकी इमारत में संरचनात्मक विफलता नहीं हुई है.”

    थाई सरकार ने बचाव अभियान जारी रहने के कारण बैंकॉक में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है. शहर में मलबे के नीचे अभी भी 40 से ज़्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका है. बचाव अभियान पर अपडेट देते हुए बैंकॉक के गवर्नर ने कहा कि बचाव दल को “अभी भी फंसे हुए 15 लोगों से महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं.

    डोनाल्ड ट्रम्प ने किया मदद का वादा
    डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यूएसएआईडी में कटौती की घोषणा के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने भूकंप प्रभावित म्यांमार को सहायता भेजने की कसम खाई. यूएसएआईडी ने ऐतिहासिक रूप से आपदा राहत प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालांकि, बजट में इसमें कटौती की गई थी.

    वहीं, दक्षिण-पूर्व एशियाई ब्लॉक आसियान ने भी म्यांमार के लिए सहायता का वादा किया. निकाय ने एक संयुक्त बयान में कहा, “आसियान अपनी एकजुटता की पुष्टि करता है और मानवीय सहायता, सहायता और राहत कार्यों को सुविधाजनक बनाने और समय पर और प्रभावी मानवीय प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेगा.”

    म्यांमार ने अन्य देशों से की मदद की अपील
    म्यांमार, जो वर्षों से गृहयुद्ध से तबाह देश है. भूकंप के बाद बिजली और पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है. एक वैश्विक अपील में, म्यांमार के जुंटा प्रमुख, मिन आंग ह्लाइंग ने सहायता का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा, “मैं म्यांमार में किसी भी देश, किसी भी संगठन या किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित करना चाहूंगा कि वे आएं और मदद करें. धन्यवाद.” आपको बता दें कि चीन और रूस पहले ही म्यांमार में सहायता और बचाव दल भेज चुके हैं.

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