• img-fluid

    मेरे मामले ने UAPA और NIA कानून के दुरुपयोग को किया साबित: अखिल गोगोई

  • July 03, 2021

    गुवाहाटी। असम के विधायक अखिल गोगोई (Assam MLA Akhil Gogoi) ने विशेष एनआईए अदालत (Special NIA Court) द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि उनका मामला सबूत है कि UAPA और NIA कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है।
    शिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई (MLA Akhil Gogoi) ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण National Investigation Agency (NIA)को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जिन्हें इन दो आतंकवाद रोधी कानूनों का कथित दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है।
    संशोधित नागरिकता कानून Amended Citizenship Act (CAA) विरोधी कार्यकर्ता अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) ने 567 दिनों के बाद हुई रिहाई के उपरांत एक साक्षात्कार में कहा कि मेरा मामला गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम और एनआईए अधिनियम के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को साबित करता है। यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिन्हें इन दो कानूनों का दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है।



    अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) को राज्य में सीएए विरोधी आंदोलन के समय हुई हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में 12 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें गुरूवार को रिहा किया गया। उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला ऐतिहासिक है क्योंकि यह एनआईए का पर्दाफाश करता है जो सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की तरह ‘राजनीतिक एजेंसी’ बन गई है।
    उन्होंने कहा कि यहां तक कि बृहस्पतिवार को भी एनआईए नए मामले दर्ज करना चाहती थी, लेकिन अपील के साथ जब वह अदालत गई तब तक फैसला आ चुका था। एनआईए द्वारा 29 जून को जमा अतिरिक्त आरोपपत्र पर गोगोई ने कहा कि मोहपाश, गो तस्करी और माओवादी शिविर में प्रशिक्षण के फर्जी आरोप लगाए गए।
    रायजोर दल के प्रमुख गोगाई ने आरोप लगाया कि एनआईए ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) या भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने पर तुरंत जमानत देने की पेशकश की थी। इसी तरह के आरोप उन्होंने मई में जेल से लिखी चिट्ठी में भी लगाए थे।
    उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने मुझे हिरासत में लिया तो केवल यह पूछा कि क्या मैं आरएसएस में शामिल होना चाहूंगा। एक बार भी उन्होंने ने माओवादियों से कथित संबंध के बारे में नहीं पूछा। मेरे सीआईओ डीआर सिंह ने कभी लाल विद्रोहियों (माओवादियों) के बारे में पहले कभी बात नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर मैं आरएसएस में शामिल होता हूं तो 10 दिन के भीतर मुझे रिहा कर दिया जाएगा।
    गोगोई ने कहा कि जब मैंने इसका नकारात्मक जवाब दिया, तब उन्होंने मुझे भाजपा में शामिल होने और मंत्री बनने की पेशकश की। मैंने उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। इस पर उन्होंने कहा कि मैं अगले 10 साल तक जेल में रहूंगा। उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला न्यायपालिका में ‘अहम मोड़’ है और यह दिखाता है कि ‘कार्यपालिका का दबाव स्थायी नहीं होता।
    गौरतलब है कि विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रंजल दास ने फैसले में टिप्पणी की कि ‘घेराबंदी की बात करने’ से देश की आर्थिक सुरक्षा को धमकी देने का संकेत नहीं मिलता या ‘आतंकवादी कृत्य’ नहीं है। गोगोई असम विधनसभा के पहले सदस्य हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीता और विधायक बने। राज्य विधानसभा के लिए हाल में चुनाव संपन्न हुए हैं।

    Share:

    पंजाब के पुलिसकर्मियों पर की गई स्‍टडी का दावा-वैक्‍सीन की दोनों डोज लगने के बाद 98 प्रतिशत घट जाता है मौत का खतरा

    Sat Jul 3 , 2021
    नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज (two Doses)महामारी (Pandemic) से होने वाली मौत (Death) के खतरे को 98 प्रतिशत कम कर देती हैं जबकि एक डोज करीब 92 फीसद बचाव करती है। सरकार ने पंजाब में पुलिसकर्मियों पर किए गए एक अध्ययन (A study done on policemen in Punjab) का हवाला देते […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved