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10 साल के मस्टरकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत

December 30, 2024

  • इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों को निरस्त कर फिर से सुनवाई के दिए निर्देश, आदिम जाति कल्याण विभाग के हजारों कर्मियों को मिलेगा लाभ

इंदौर। दैनिक वेतन भोगी यानी मस्टरकर्मियों को अभी सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से बड़ी राहत मिली है। निमाड़ महासंघ की पहल रंग लाई और सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग में कार्यरत सैंकड़ों मस्टरकर्मियों को अब न्याय मिलेगा, जो 10 साल से सेवा दे रहे हैं। इंदौर हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुन: सुनवाई के निर्देश जारी किए हैं, जिससे कर्मचारियों में भी खुशी है और उन्होंने अधिवक्ता सहित महासंघ पदाधिकारियों का आभार माना और उनका स्वागत भी किया। विगत कई वर्षों से ये कर्मचारी अपनी समस्या को लेकर निमाड़ महासंघ से गुहार लगाते रहे और उसके बाद महासंघ ने ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से अभी राहत मिली।

निमाड़ महासंघ के प्रमुख संजय रोकड़े और संयोजक कृष्णकांत रोकड़े ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यह समस्या चल रही थी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल ने अपनी पीड़ा बताई और कहा कि 1991 से 1996 के बीच कार्यरतकर्मियों को आदिम जाति कल्याण विभाग में दैनिक वेतन भोगियों के रूप में कलेक्टर रेट पर मासिक भुगतान किया जा रहा था और हमने नियमितिकरण और नियमित वेतन के लिए 2012 में इंदौर हाईकोर्ट में रीट पीटीशन दायर की थी।

हालांकि हाईकोर्ट ने भी नियमित वेतन का लाभ देने का आदेश दिया, जिसमें याचिकाकर्ताओं का वेतन निर्धारण विभाग द्वारा सेवा प्रारंभ होने की तिथि के 5वर्ष बाद से किया गया, किन्तु कुछ याचिकाकर्ताओं ने सेवा प्रारंभ होने की तिथि के 5 वर्ष पूर्ण होने की दिनांक से नकद भुगतान का लाभ लेने हेतु 2014 में याचिका दायर की, जिसमें हाईकोर्ट ने कैलाशचंद्र तलवारे विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन और रेवाराम यादव के मामले में निर्देश दिए। मगर शासन द्वारा विचार नहीं किया गया और एक आदेश पारित कर मिल रहे लाभ को निरस्त कर सभी को पुन: मस्टरकर्मी बना दिया गया। हालांकि 2018 में भी इंदौर हाईकोर्ट में रीट पीटीशन दायर की, मगर उसमें भी सफलता नहीं मिली।


उसके बाद महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारका सांवले से सम्पर्क किया और उन्हें इन मस्टरकर्मियों का केस लडऩे के लिए राजी किया, तब आशा राठौर और अन्य के नाम से सुप्रीम कोर्ट में सिविल अपील दायर की गई, जिस पर अभी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण को गंभीर असामनता का मानते हुए हाईकोर्ट के अपीलीय आदेश और रीट आदेशों को निरस्त करते हुए निर्देश दिए कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 2006 में जो फैसला सुनाया था उसमें जिन मस्टरकर्मियों की सेवा अवधि 10 वर्ष हो गई हो उनको नियमितिकरण व नियमित वेतन का लाभ मिलेगा। लिहाजा उसी आदेश के संदंर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को रिमांड रीट पीटीशन के माध्यम से याचिकाकर्ताओं की याचिका को पुन: यथाशीघ्र सुनने के निर्देश भी दिए। श्री रोकड़े के मुताबिक अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 230 निमाड़ क्षेत्र के ही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, जो सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग में कार्यरत हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेशभर में हजारों कर्मचारियों पर भी यह फैसला लागू होगा। पिछले दिनों इस निर्णय के बाद कर्मचारियों ने निमाड़ महासंघ के पदाधिकारियों और सर्वोच्च न्यायालय में केस लडऩे वाले अधिवक्ता श्री सांवले का स्वागत करते हुए आभार भी माना। महासंघ का कहना है कि मस्टरकर्मी इस संबंध में मदद प्राप्त कर सकते हैं।

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