नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने शनिवार को एक विचार-विमर्श के दौरान कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ की मौजूदा गैर-संहिताबद्ध प्रकृति के चलते इसकी गलत व्याख्या की गई है। इसके चलते मुस्लिम महिलाओं को चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है।
एनसीडब्ल्यू ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा आयोजित की थी जो खासतौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ की समीक्षा पर केंद्रित थी। विचार विमर्श की यह प्रक्रिया विधि आयोग की ओर से विभिन्न संगठनों और लोगों से समान नागरिक संहिता (UCC) पर विचार आमंत्रित करने की पृष्ठभूमि में आयोजित हुई। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की गैर-संहिताबद्ध प्रकृति की कमियाें पर चर्चा की।
उन्होंने सवाल किया कि क्या जो कानून हिंदू, ईसाई, सिख और बौद्ध महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है, क्या उसे केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए उचित माना जा सकता है? उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता की अनुपस्थिति ने हमारे विविधता युक्त देश में असमानताओं और विसंगतियों को कायम रखा है, जिससे सामाजिक सद्भाव, आर्थिक विकास और लैंगिक न्याय की दिशा में प्रगति बाधित हुई है।
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