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    वक्फ संशोधन विधेयक की मुस्लिम संगठनों ने की आलोचना, विपक्ष ने बताया संविधान पर हमला

  • August 09, 2024


    नई दिल्ली. संसद के निचले सदन लोकसभा (Lok Sabha) में गुरुवार, 8 अगस्त को वक्फ (संशोधन) विधेयक (The Waqf (Amendment) Bill) पेश किया गया. इसके बाद देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों (Muslim organizations) ने इस पर निशाना साधा है और सरकार से प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने, धार्मिक नेताओं सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा करने की गुजारिश की है.



    जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों गुटों (अरशद मदनी और महमूद मदनी) ने विधेयक की निंदा की और प्रस्तावित कानून पर गंभीर चिंता जताई है. जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने दावा किया कि सरकार वक्फ संपत्तियों की स्टेटस को बदलना चाहती है, जिससे उन पर कब्जा करना आसान हो जाए.

    ‘अस्तित्व में आएगा कलेक्टर राज…’

    मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “नए संशोधन के पारित हो जाने के बाद कलेक्टर राज अस्तित्व में आ जाएगा और वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी नहीं होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ है और कौन सी नहीं. ओनरशिप के संबंध में कलेक्टर का फैसला आखिरी होगा.” उन्होंने आगे कहा कि पहले यह अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल के पास था. वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधन संविधान द्वारा दी गई मजहबी आजादी के भी खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन है.

    ‘जब से यह सरकार आई है…’

    मौलाना अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि जब से यह सरकार आई है, तब से मुसलमानों को ‘डर’ में रखने के लिए ऐसे नए कानून ला रही है. प्रस्तावित कानून मुसलमानों के धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप है.

    उन्होंने अपने बयान में कहा कि जमीयत यह साफ करना चाहती है कि हम वक्फ अधिनियम, 2013 में ऐसे किसी भी बदलाव को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जो वक्फ संपत्तियों के स्टेटस को बदलता या कमजोर करता हो. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हमेशा वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा तय करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं और आज भी हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत के मुसलमान सरकार की हर उस योजना के खिलाफ होंगे, जो वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है.

    जमीयत के दूसरे धड़े के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर गहरी चिंता जताई और कहा कि संसद में पेश किए गए संशोधन वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. ये संशोधन सरकारी निकायों को गैरजरूरी हस्तक्षेप का मौका देंगे, वक्फ की मूल स्थिति को कमजोर करेंगे और दैवीय ओनरशिप के कॉन्सेप्ट का उल्लंघन करेंगे.

    उन्होंने आगे कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 40 को खत्म करने और वक्फ ट्रिबन्यूनल्स के बजाय राजस्व कानूनों के तहत वक्फ संपत्ति की ओनरशिप और कब्जे से संबंधित मुद्दों और विवादों को हल करने का अधिकार जिला कलेक्टरों को देने का प्रस्ताव “वक्फ बोर्ड को ही अमान्य” करने जैसा है. महमूद मदनी ने सरकार से प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने और धार्मिक नेताओं और वक्फ प्रबंधन निकायों सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने की गुजारिश की है.

    ‘मुस्लिम समुदाय को अस्वीकार्य…’

    जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने भी वक्फ विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय को अस्वीकार्य है. हम सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध करते हैं. प्रस्तावित परिवर्तनों का मकसद वक्फ संपत्तियों और उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले समुदायों की स्वायत्तता और अखंडता को कम करना है. यह मुस्लिम समुदाय को स्वीकार्य नहीं है.

    उन्होंने आरोप लगाया कि ये संशोधन पुराने औपनिवेशिक कानूनों से प्रेरित हैं, जो कलेक्टर को आखिरी अथॉरिटी बनाते हैं, जिससे मुसलमानों के अपने धार्मिक दान का प्रबंधन करने के अधिकारों का हनन होता है.

    ‘वक्फ की कई संपत्तियों पर कब्जा…’

    अजमेरी गेट स्थित मस्जिद एंग्लो-अरबी के इमाम मुफ्ती मोहम्मद कासिम ने कहा कि वक्फ की कई संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है और अगर सरकार समुदाय की मदद करना चाहती है, तो उसे सबसे पहले ऐसी संपत्तियों को अवैध कब्जे से खाली कराना चाहिए.

    ‘मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा…’

    वक्फ (संशोधन) विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया और गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय पैनल को भेज दिया गया. सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है, जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया. वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह संयुक्त संसदीय समिति के गठन के लिए सभी दलों के नेताओं से बात करेंगे.

    केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा विधेयक पेश करने की अनुमति मांगने के तुरंत बाद, विपक्षी INDIA ब्लॉक के सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किए जाने का कड़ा विरोध किया, इसे संविधान पर ‘हमला’ कहा और कहा कि यह मुसलमानों को निशाना बनाता है.

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