• img-fluid

    मुस्लिम लीग चाहती थी त्रिपुरा हो पाकिस्तान का हिस्‍सा, सरदार पटेल ने कर दी थी साजिश नाकाम

  • January 31, 2022

    नई दिल्ली। त्रिपुरा(Tripura) को राज्य बने 50 साल पूरे हो गए हैं। इस महीने की शुरुआत में ही राज्य के लोगों ने त्रिपुरा के 50वें स्थापना दिवस (Tripura 50th Foundation Day) का जोर-शोर से जश्न मनाया। अब एक किताब में सामने आया है कि भारत (India) का यह राज्य 75 साल पहले लगभग पाकिस्तान (Pakistan) के हाथ में चला गया था। हालांकि, तब त्रिपुरा(Tripura) की महारानी की हिम्मत ने इसे भारत (India) का हिस्सा बनाया।
    लेखक और इतिहासकार पन्ना लाल रॉय (Writer and historian Panna Lal Roy) ने अपनी किताब ‘रजवाड़े त्रिपुरा का भारतीय संघ में विलय’(The merger of the princely state of Tripura with the Indian Union) में लिखा, “मुस्लिम लीग के समर्थन से महल में तख्तापलट का प्रयास हुआ था और भारतीय संघ में विलय के त्रिपुरा के महाराज का अंतिम निर्णय पलटने के कगार पर पहुंच चुका था। लेकिन उस समय के कुछ निष्ठावान मंत्रियों (दरबारियों) और महारानी के समय से उठाए गए कदमों और उस दौर के नेताओं की चेतावनी से ऐसा संभव नहीं हो पाया।


    महाराजा ने पहले ही कर लिया था भारत में विलय का फैसला
    रॉय के मुताबिक, ‘‘महाराजा बीर बिक्रम ने 28 अप्रैल, 1947 को घोषणा की थी कि त्रिपुरा भारतीय संघ का हिस्सा होगा और उसी दिन उन्होंने अपने इस फैसले के बारे में संविधान सभा के सचिव को टेलीग्राम भेजा था।’’ उन्होंने बताया , ‘‘दुर्भाग्य से राजकुमार का 17 मई, 1947 को निधन हो गया। उनके निधन के बाद उच्च पदस्थ अधिकारियों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर पाकिस्तान में राज्य के विलय की साजिश रच डाली।’’
    ‘प्रसाद षडयंत्र’ नाम की किताब के रचयिता रॉय ने कहा कि बीर बिक्रम किशोर के निधन के बाद कुछ मंत्रियों और दिवंगत राजा के एक सौतेले भाई ने राजपरिवार के एक सदस्य को सिंहासन पर बिठाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ राज्य के विलय का नया समझौता करने का फैसला किया और त्रिपुरा के मुस्लिम लीग समर्थक संगठन ‘अंजुमन इस्लामिया’ के साथ सुनियोजित साजिश रच डाली।

    रेडक्लिफ आयोग के फैसलों से मुस्लिम लीग की साजिशों को मिला बल
    उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग के नेताओं ने पूर्वी पाकिस्तान के साथ त्रिपुरा के विलय के लिए कोमिल्ला एवं नोआखाली जिलों में कई बैठकें कीं और उन क्षेत्रों में दंगा भड़क जाने के बाद बड़ी संख्या में लोग शरणार्थी के तौर पर त्रिपुरा भागे। तब जनजाति राज्य के महाराजों का न सिर्फ त्रिपुरा पर बल्कि (ब्रिटिश भारतीय उपनिवेश काल में) जमींदारी व्यवस्था के जरिए पड़ोसी कोमिल्ला, नोआखाली और सिलहट जिलों के विशाल हिस्सों पर भी शासन था।
    उन दिनों जमींदारों द्वारा ब्रिटिश भारत सरकार से जमींदारी खरीदी जा सकती थी, जो अंग्रेजों को एक निश्चित राशि का भुगतान करने के वादे पर कर संग्रहण कर सकते थे। माणिक्या शासक जमींदार के तौर पर इन जिलों के निवासियों से राजस्व लेते थे, न कि शासक के तौर पर । वे न केवल उन क्षेत्रों में जनशिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करते थे, बल्कि उन्होंने संभ्रांत कोमिला क्लब जैसे क्लब भी बनवाए। रेडक्लिफ आयोग ने इन क्षेत्रों को पाकिस्तान को दे दिया।
    रॉय के मुताबिक, इससे और आयोग के एक अन्य फैसले से मुस्लिम लीग के नेताओं का मनोबल बढ़ गया। दूसरे फैसले में आयोग ने 97 फीसदी बौद्ध धर्मावलंबी बहुल चट्टगांव हिल ट्रैक पाकिस्तान को इस आधार पर दे दिया कि वे चारों ओर से जमीन से घिरे होने के कारण आर्थिक रूप से अपना अस्तित्व बनाकर नहीं रख पाएंगे।

    कैसे आईं पाकिस्तान के लिए मुश्किलें?
    उनके लिए समस्या यहां यह थी कि 11 जून, 1947 को आखिरी शासक के निधन के 25 दिनों बाद अधिसूचना जारी की गई, जिसमें कहा गया- ‘‘यह अधिसूचित किया जाता है कि त्रिपुरा प्रांत के शासक दिवंगत कर्नल महामहिम महाराजा माणिक्य सर बीर बिक्रम किशेार देब बर्मन बहादुर ने वर्तमान संविधान सभा से जुडने का फैसला करते हुए 28 अप्रैल, 1947 को त्रिपुरा सरकार के मंत्री जीएस गुहा को उक्त संविधान सभा में त्रिपुरा का प्रतिनिधि नामित किया है।’’

    हिंदू महासभा के नेता ने लिखा सरदार पटेल को पत्र
    बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन घोष ने 29 अक्टूबर को गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र लिखकर (मुस्लिम लीग की) साजिश की सूचना दी। उसके बाद हिंदू महासभा के नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पटेल को त्रिपुरा की स्थिति पर पत्र लिखा। इन सभी चेतावनी के बाद पटेल ने 31 दिसंबर, 1947 को असम के राज्यपाल को चिट्ठी लिखी और फिर संघ सरकार ने वायुसेना को त्रिपुरा भेजा।

    महारानी ने दिखाई हिम्मत और भारत का हिस्सा बन गया त्रिपुरा
    असम के तत्कलीन राज्यपाल के सलाहकार नारी रूस्तम जी ने ‘इनचैंटेड फ्रंटियर’ पुस्तक में लिखा है, ‘‘त्रिपुरा में पाकिस्तान समर्थक तत्वों के सक्रिय रहने के सबूत हैं.. लेकिन हम पूरी तरह चौकस हैं और समस्या खड़ी करने वालों पर हमने तत्काल प्रहार किया।’’ रॉय ने कहा कि महारानी ने कई मंत्रियों को इस्तीफा देने के लिए कहा और एक को राज्य में प्रवेश करने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि महारानी के नए दीवान एबी चटर्जी ने ऐसे मुश्किल दौर में मदद की।

    Share:

    Uttarakhand में कांग्रेस राहुल-प्रियंका की कराएगी वर्चुअल रैली

    Mon Jan 31 , 2022
      नई दिल्‍ली । उत्तराखंड (Uttarakhand) में दूसरे चरण में मतदान 14 फरवरी को होना है और सियासी दल चुनाव प्रचार (Election Campaign) में जुटे हैं. वहीं कांग्रेस (Congress) ने भी अपने चुनाव प्रचार को तेज कर दिया है और अपने दिग्गजों उतारने का फैसला किया है. फिलहाल कांग्रेस ने पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव औक […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved