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भारत में एंट्री से पहले ही मस्क के Starlink को झटका, कैसे लगा सपनों पर ब्रेक, जानें

March 15, 2025

नई दिल्ली । भारत (India)में एलन मस्क (elon musk)की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा(Satellite Internet Service) स्टारलिंक को मंजूरी(Starlink approved) तो मिल गई है लेकिन मस्क की राह में रोड़े जरूर (There are definitely obstacles in the way)आ गए हैं। हाल ही में एयरटेल और जियो के साथ हुए करार के बाद स्टारलिंक के भारत में प्रवेश का रास्ता कुछ हद तक साफ हुआ है लेकिन भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा के लिए लाइसेंस अवधि को 5 साल तक सीमित करने की योजना बनाई है। यह फैसला एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के लिए बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि कंपनी ने 20 साल के लाइसेंस की मांग की थी।

क्या है मामला?


भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर बड़ा विवाद चल रहा था। मस्क की स्टारलिंक चाहती थी कि उसे 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम मिले, ताकि वह लॉन्ग-टर्म प्लानिंग कर सके और सस्ती सेवाएं दे सके। दूसरी ओर, मुकेश अंबानी की रिलायंस और भारती एयरटेल चाहती थीं कि यह अवधि 3 से 5 साल तक सीमित हो, ताकि भारत सरकार समय-समय पर बाजार का आकलन कर सके। अब ट्राई ने अंबानी और एयरटेल के सुझाव को मानते हुए 5 साल की समय-सीमा तय करने का मन बना लिया है।

स्टारलिंक के लिए क्यों बड़ा झटका?

एलन मस्क की स्टारलिंक हाल ही में भारत में अपने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के विस्तार के लिए रिलायंस और एयरटेल के साथ डिस्ट्रीब्यूशन डील कर चुकी है। हालांकि, इस बिजनेस मॉडल को सफल बनाने के लिए कंपनी को लंबी अवधि का लाइसेंस चाहिए था। ट्राई के इस फैसले से स्टारलिंक को भारत में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट और कीमत निर्धारण में दिक्कत हो सकती है।

सरकार का तर्क क्या है?

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के बाजार को पहले परखना चाहता है, ताकि सही स्पेक्ट्रम कीमत तय की जा सके। अभी पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिए मिलता है, लेकिन सैटेलाइट सेवाओं के लिए सस्ता और सीमित समय के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा।

ट्राई अगले एक महीने में अपनी अंतिम सिफारिशें टेलीकॉम मंत्रालय को भेजेगा। इसके बाद सरकार इसे लागू करने का फैसला लेगी। भारत में 2028 तक सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेक्टर का आकार 25 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में यह फैसला इस सेक्टर के भविष्य को तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

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