उज्जैन।महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में सती माता मंदिर के समीप स्मार्ट सिटी (smart City) के तहत हुई खुदाई के दौरान मिले परमारकालीन शिव मंदिर के अवशेष,देवी-गणेश प्रतिमाएं, कलश तथा अन्य पुरावशेषों के चलते इस जगह को संरक्षित करने का प्रयास प्रदेश का पुरातत्व विभाग (archeology department) कर रहा है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को सुझाव भेजा गया है कि निर्माण कार्यों के बीच उक्त स्थल को संरक्षित कर दिया जाए और शेष निर्माण होते रहें। ताकि यह जगह 11 वीं शताब्दी के अपने इतिहास को समेटे रहे।
खुदाई के दौरान जब पुरावशेष निकलने लगे और बात प्रदेश सरकार तक पहुंची तो भोपाल से पुरातत्वविदों को भेजा गया था। करीब एक सप्ताह तक शोध के बाद प्रदेश के पुरातत्व विभाग ने अधिकृत रूप से घोषित किया था कि परमारकालीन मंदिर के अवशेष मिले हैं। 11वीं शताब्दी के पुरावशेषों में उक्त स्थान पर मंदिर होने की बात सामने आई। बाद में शिव मंदिर के अवशेष मिले और नीचे प्लेटफार्म भी मिला। यहां तक खुदाई होने के दौरान करीब 250 पुरावशेष पुरातत्वविदों ने एकत्रित करके एक जगह रख लिए। अब विभाग चाहता है कि यहां पर पिल्लर खड़े करके एक छत बना दी जाए। नीचे जो हाल बनेगा,उसमें उक्त मंदिर का शेष रहा ढांचा और प्राप्त सभी पुरावशेष संग्रहालय के रूप में संरक्षित हो जाएं। ताकि 11वीं शताब्दी का इतिहास समेटे मंदिर का प्राचीन कालखण्ड आनेवाली पीढ़ियों के लिए उपलब्ध रहे।
यहां पुरातत्व विभाग के अधिकारी देवेंद्र जोधा कामकाज देख रहे हैं। चर्चा में उन्होने कहा कि इस प्रकार का सुझाव सामने आया है लेकिन अंतिम निर्णय प्रदेश शासन को करना है। जो पुरावशेष मिले हैं,वे अपने में एक इतिहास समेटे हुए हैं। ऐसे में इन अवशेषों को संरक्षित करना विभाग की प्राथमिकता है। लेकिन इसके लिए शासन स्तर पर निर्णय होगा।
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