नई दिल्ली (New Dehli) । आज उस खिलाड़ी (player) का जन्म दिन है जो भारतीय (Indian) क्रिकेट में अपनी अहम भूमिका के लिए जाने जाते थे भले उनका करियर (career) ज्यादा लंबा न रहा हो पर उन्हें भूल पाना गलत होगा । मुरली कार्तिक (Murali Karthik) जैसा खिलाड़ी आज तक नही देखा जो कि नजरिए और तेवरों वाला खिलाड़ी 20 साल के अपने पूरे इंटरनेशनल करियर में नहीं देखा. टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मुरली कार्तिक अब कमेंटेटर बन चुके हैं. उन्होंने 2000 से 2007 तक भारत के लिए क्रिकेट खेला.
हर किसी को उसकी काबिलियत के मुताबिक जहां नहीं मिलता. कपिल देव (Kapil Dev) ने जिसे लेकर कहा था कि उन्होंने उस नजरिए और तेवरों वाला खिलाड़ी 20 साल के अपने पूरे इंटरनेशनल करियर में नहीं देखा. वो टीम इंडिया से सिर्फ 8 टेस्ट खेलकर रुखसत हो गया. उसने वनडे भी खेले पर सिर्फ 37. कुल मिलाकर इंटरनेशनल क्रिकेट का करियर 7 साल का रहा. जानना चाहेंगे इस खिलाड़ी का नाम. तो सुनिए. 5 फुट 8 इंच कद और बाएं हाथ का स्पिनर, नाम मुरली कार्तिक (Murali Kartik). इस खिलाड़ी की सबसे बड़ी गलती कह लीजिए, ये रही कि इन्होंने कुंबले (Kumble) और हरभजन (Harbhajan) के दौर में भारतीय क्रिकेट में दस्तक दी. पर ये बात आज छिड़ी क्यों? तो इसलिए क्योंकि आज मुरली कार्तिक का जन्मदिन है. 11 सितंबर 1976 को जन्में मुरली कार्तिक आज पूरे 44 साल के हो गए हैं.
बाएं हाथ के स्पिनर ने साल 2000 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था. भारतीय क्रिकेट में उनके कदम अनिल कुंबले के जोड़ीदार स्पिनर के तौर पर पड़े थे. लेकिन, किस्मत का खेल देखिए कि जिस साल वो टीम इंडिया में चुने गए, उसी साल उन्हें अनुशासन संबंधी मामलों में नेशनल क्रिकेट एकेडमी से बर्खास्त भी कर दिया गया. कार्तिक ने टीम इंडिया में जगह घरेलू क्रिकेट में लाजवाब प्रदर्शन के बूते बनाया था. घरेलू क्रिकेट में उनके खाते में विकेट हैं तो साथ में बल्लेबाजी में 19 अर्धशतक भी दर्ज हैं. लेकिन टीम इंडिया के लिए खेलते हुए ना वो ये प्रदर्शन दोहरा सके. और ना ही कप्तान सौरव गांगुली का कॉन्फिडेंस जीत सके. साल 2001 में गांगुली ने ऑफ स्पिनर के तौर पर हरभजन सिंह को चांस दिया, जिन्होंने ये मौका दोनों हाथों से लपका. और इसी के साथ कार्तिक के क्रिकेट करियर पर ग्रहण लग गया.
कुंबले-हरभजन के रहते कहां से खेलते कार्तिक?
मुरली कार्तिक फिर तभी खेलते दिखते जब टीम इंडिया को तीन स्पिनर खिलाने की जरूरत होती या कुंबले और हरभजन में से कोई एक इंजर्ड होता. पर ऐसा कम ही होता. वो लगातार टीम से अंदर बाहर होते रहते. टीम में आते तो छोटे वक्त के लिए. वो साढ़े 4 साल के अपने टेस्ट करियर में सिर्फ एक बार मैन ऑफ द मैच बने, जब साल 2004-05 में मुंबई टेस्ट में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया. साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले मुरली कार्तिक ने अपना आखिरी टेस्ट भी इसी टीम के खिलाफ खेला. उन्होंने अपने करियर के 8 टेस्ट में 24 विकेट चटकाए. वहीं 37 विकेट उन्होंने वनडे में लिए.
चैंपियन बनने वाली मिडिलसेक्स टीम का बने हिस्सा
2007 में भारत के लिए अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने वाले कार्तिक ने फिर इंग्लैंड की काउंटी टीमों से करार किए. और उनके लिए शॉर्टर फॉर्मेट में धूम मचाने लगे. वो वहां साल 2008 में चैंपियन बनने वाली टीम मिडिलसेक्स का भी हिस्सा रहे थे. इसके अलावा उन्होंने दो और काउंटी टीमों समरसेट और सरे के लिए भी क्रिकेट खेला. मुरली कार्तिक IPL में भी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए हाथ घुमाते दिखे. फिलहाल, अब वो एक कमेंटेटर हैं और लगातार क्रिकेट मैचों की कमेंट्री करते दिख जाते हैं.
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