भोपाल। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए दूसरे और आखिरी चरण का मतदान कल 13 जुलाई को होने जा रहा है। पहले चरण में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों की अपक्षा काफी कम रहा। चुनाव प्रतिशत कम होने से भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव का हर बूथ पर 10 फीसदी वोट बढ़ाने का फार्मूला पूरी तरह से फेल हो गया। हालांकि बूथ को मजबूत करने के लिए मुरलीधर राव ने मप्र में कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा बैठकें ली थीं। हालांकि निकाय चुनाव में टिकट वितरण के थोड़े-बहुत दखल और एक-दो छुटपुट सभाओं के अलावा मुरलीराव की न तो ज्यादा चली और न ज्यादा सक्रिय दिखे।
नवंबर 2020 में मप्र का प्रभारी बनने के बाद मुरलीधर राव के नेतृत्व में मप्र में भाजपा ने खंडला लोकसभा उपचुनाव से लेकर पृथ्वीपुर, रैगांव, जोवट और दमोह के विधानसभा उपचुनाव भी लड़े। इनमें से भाजपा ने रैगांव छोड़कर सभी उपचुनाव जीते। इसके अलावा मुरलीधर राव की मप्र भाजपा के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, जिसका फायदा मप्र भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में मिले। भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने मप्र में भाजपा का वोट बैंक बढ़ाने के लिए बूथ पर 51 फीसदी तक वोट बढ़ाने के लिए अभियान चलाया। इसके लिए मप्र भाजपा ने मोर्चा, प्रकोष्ठों के अलग-अलग कार्यक्रम तय किए। यहां तक कि कार्यक्रमों के पखवाड़े भी चलाए, इसके बावजूद भी मुरलीधर राव के फार्मूले से मप्र में भाजपा का एक प्रतिशत वोट तक नहीं बढ़ा।
मुरलीधर ने दिया था टिकट पाने का मंत्र
निकाय चुनाव की घोषणा से पहले मुरलीधर राव ने ऐलान किया था कि उन्हीं को टिकट मिलेगा, जो संगठन के लिए काम करेगा। घर बैठे और नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट नहीं मिलेगा। ज्यादा निकायों में भाजपा ने मुरलीधर राव की इस घोषणा के अनुरूप टिकट नहीं बांटें। सालों पुराने कार्यकर्ताओं तक को टिकट नहीं दिया गया। ं
चुनाव प्रचार से बनाई दूरी
पहले चरण में मतदान का प्रतिशत काफी कम होने के बाद से मुरलीधर राव ने निकाय चुनाव के दूसरे चरण में प्रचार प्रसार से भी दूरी बना ली। पहले चरण में वे भोपाल की गलियों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार में घूमे थे, लेकिन जब मतदान का प्रतिशत कम आया तो उन्होंने दूसरे चरण के लिए मतदान के लिए चुनाव प्रचार ही नहीं किया।
बैठकों की तरह सक्रिय नहीं रहा कार्यकर्ता
प्रदेश में चौथी बार सरकार बनने के बाद से भाजपा ने संगठन विस्तार पर खास जोर दिया। कोरोना काल में भी भाजपा ने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए कार्यक्रम तय कर दिए थे। प्रवासी लोगों केा खाना वितरण से लेकर, परिवहन, जूता-चप्पल तक कार्यकर्ताओं से बंटवाएं। उपचुनाव में कार्यकर्ताओं ने खूब पसीना बहाया। बीच-बीच में पार्टी ने एक-एक पखवाडे के कार्यक्रम तय किए थे, इनमें कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत के साथ एकत्रित किया। निकाय चुनाव में कार्यकर्ता टिकट वितरण की प्रक्रिया से खासा नाराज दिखा और चुनाव प्रचार में सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहा।
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