लखनऊ (Lucknow) । नगर निकाय चुनाव (municipal elections) में काशी (Kashi) यानि बनारस (Banaras) का चुनाव अन्य नगर निकायों से खास होगा। इसका कारण सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का संसदीय क्षेत्र होना ही नहीं है बल्कि इस चुनाव में भाजपा के तीन मंत्रियों अनिल राजभर, रवींद्र जायसवाल और दयाशंकर मिश्रा उर्फ दयालू गुरु की साख भी दांव पर है।
इसके अलावा कई बड़े नेताओं की कर्मभूमि होने के कारण भी यहां के चुनाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देश की सांस्कृतिक राजधानी होने के नाते भी इस शहर में होने वाले सभी चुनाव भाजपा के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
काशी में निकायों के चुनाव परिणाम देखें तो वर्ष 1989 में कांग्रेस के मोहम्मद स्वालेह अंसारी महापौर चुने गए थे। इसके बाद हुए सभी चुनावों में भाजपा का ही नगर निगम पर कब्जा रहा है।
अंसारी के बाद कल्याण सिंह सरकार में नंबर दो पर मंत्री रहे ओमप्रकाश सिंह की पत्नी सरोज सिंह, पूर्व मंत्री अमरनाथ यादव, कौशलेंद्र सिंह, रामगोपाल मोहले और पूर्व सांसद शंकर प्रसाद जायसवाल की बहू निवर्तमान महापौर मृदुला जायसवाल भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतती रही हैं।
इस लिहाज से काशी में हो रहे निकाय चुनाव में खासतौर से सत्तारूढ़ भाजपा के लिए खास माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यहां से सांसद होना तो इस नगरी की कसौटी पर उनकी साख के सवालों को जोड़ता ही है, यहां से प्रदेश सरकार में मंत्री पद संभाल रहे कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल और आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्रा उर्फ दयालू गुरु की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है।
निकाय चुनावों के परिणाम इन मंत्रियों की लोकप्रियता की परीक्षा का पैमाना बनकर खड़ा है। इसके अलावा निकाय चुनाव में मिला वोट वर्ष 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी पूरी भाजपा की पकड़ व पहुंच का प्रमाण बनेगा।
प्रधानमंत्री व इन मंत्रियों के अलावा रक्षामंत्री राजनाथ, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम भी काशी से जुड़ा है। आज भी इनका अलग-अलग तरीके से काशी के सरोकारों से जुड़ाव बरकरार है।
केंद्र में मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय भले ही चंदौली से सांसद हैं, पर काशी में रहने की वजह से काशी की प्रतिष्ठा उनसे भी जुड़ी है। एक समय में भाजपा त्रिमूर्ति में शामिल डॉ. मुरली मनोहर जोशी अब राजनीति में सक्रिय न हों लेकिन उनका जुड़ाव भी इस नगरी से रहा है। वह भी यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं।
काशी से ही चलता है सांस्कृतिक एजेंडा
ऐसा नहीं है कि सिर्फ इन चेहरों के कारण निकाय चुनाव में काशी भाजपा की साख के लिए खास बन गई है। भाजपा के सांस्कृतिक एजेंडे का इस नगरी से गहराई से जुड़ाव होना भी निकाय चुनाव की कसौटी पर भाजपा की साख को खास बना रहा है। प्रधानमंत्री के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की भी कई योजनाओं पर इस नगरी में कराए गए कामों के जरिए भाजपा ने इस नगरी को एक तरह से विकास का म़ॉडल बनाकर हिंदुत्व ही विकास है के अपने दावे को सच साबित करने का प्रयास किया है।
भाजपा ने विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण और मंदिर परिसर के विस्तार पर काम कराकर उसने सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान के एजेंडे पर काम का संदेश दिया है। एक तरह काशी मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, कला सहित सनातन संस्कृति के अन्य सरोकारों का प्रतीक बनकर उनके पूरे एजेंडे की कसौटी भी बन चुकी है। जाहिर है कि काशी के नतीजे भाजपा के लिए काफी खास हो गए हैं, जिसका संदेश वर्ष 2024 के सरोकारों को भी विस्तार देगा।
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