उज्जैन। उज्जैन में आने वाले दर्शनार्थियों से प्रवेश कर और धार्मिक स्थलों से शुल्क लेने की नगर निगम ने तैयारी की है। इस तरह का प्रस्ताव आज महापौर भोपाल में आयोजित कार्यशाला में रखने वाले हैं। आर्थिक रूप से कड़की हो चुकी प्रदेश की नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री ने भोपाल में कार्यशाला बुलाई है जिसमें प्रदेश भर के महापौर एवं निगम आयुक्त पहुँचे हैं।
इसमें उज्जैन से भी महापौर एवं निगम आयुक्त भोपाल बैठक में भाग ले रहे हैं, वह भी प्रस्ताव रखेंगे। नगर निगम की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आज नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदेश की नगर निगम के महापौर एवं निगम आयुक्त को भोपाल बुलाया है एवं वर्कशॉप आयोजित की गई है, जिसमें नगर निगम को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए और आय बढ़ाई जाए इस पर चर्चा होगी। इस बैठक में भाग लेने के लिए उज्जैन से महापौर मुकेश टटवाल एवं निगम आयुक्त आशीष पाठक भी पहुँचे हैं। महापौर मुकेश टटवाल ने बताया उज्जैन नगर निगम की ओर से निगम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा जिसमें यहाँ आने वाले यात्रियों से नगर निगम को यात्री कर मिले, इसकी राशि तय की जाए, वहीं नगर निगम द्वारा धार्मिक मंदिरों का रखरखाव एवं संधारण कार्य भी किया जाता है लेकिन इन मंदिरों से नगर निगम को कोई आय नहीं होती है। प्रस्ताव में नगर निगम को मंदिर की आय में से 5 प्रतिशत राशि नगर निगम को देने का प्रावधान किया जाए एवं नगर में जो बीयर बार के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं, उसका अधिकार नगर निगम को दिया जाए। इन सब कार्यों से नगर निगम की आय बढ़ेगी और नगर निगम आत्मनिर्भर होगी। वर्तमान में नगर निगम को शासन द्वारा चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में करीब 14 करोड़ रुपए की राशि दी जाती है। इसी राशि से नगर निगम का हर माह का वेतन बंटता है। पिछले कई सालों से नगर निगम आर्थिक तंगी से जूझ रही है और ठेकेदारों का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि नगर निगम में ठेकेदार बड़े निर्माण कार्य के ठेके ही नहीं ले रहे हैं। यही स्थिति पूरे प्रदेश की नगर निगम में चल रही है। इसी को देखते हुए आज नगरीय प्रशासन मंत्री ने यह बैठक बुलाई है। बैठक में सिंहस्थ के कार्यों पर भी चर्चा होगी।
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