नई दिल्ली। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के कारण प्रदूषित हो रही अबोहवा को देखते हुए निगम ने अपने अंतर्गत आने वाले शवदाह गृह में पराली और उपलों से अंतिम संस्कार कराने की योजना बनाई है। इससे न केवल दिल्ली- एनसीआर के आसपास प्रदूषण कम होगा बल्कि किसानों को भी पराली जलाने के बजाय उनका उचित दाम मिल सकेगा।
उतरी दिल्ली नगर निगम के महापौर जयप्रकाश ने बताया कि दिल्ली- एनसीआर के इलाकों में पराली के प्रदूषण को कम करने के लिए तीनों निगम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जल्द ही इस संबंध में प्रस्ताव लाकर पड़ोसी राज्य के किसानों से पराली को उचित दाम में खरीदा जाएगा। इसके बाद पराली को तीनों नगर निगम के अंतर्गत आने वाले शवदाहगृह में भेज दिया जाएगा। इससे किसान अपनी पराली जलाने के बजाय उनका उचित दाम पा सकेंगे वहीं, दाहसंस्कार करने में भी लकड़ियों की कम खपत होगी।
इस कड़ी में दिल्ली- एनसीआर के किसानों को पराली बेचने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। जिससे वे पराली को जलाने के बजाय दिल्ली में अपनी पराली को बेच सकेंगे। वहीं, दक्षिणी निगम महापौर अनामिका का कहना है कि प्रदूषण को कम करने के लिए स्प्रिंकलर का सहारा लेने के साथ-साथ खुले में मलबा डालने के वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। दूसरी और पूर्वी निगम के महापौर निर्मल जैन ने कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए हम प्रयासरत हैं। इस कड़ी में खुले में मलबा डालने से लेकर आग जलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
महापौर जयप्रकाश ने बताया कि पराली और उपलों के माध्यम से दाह संस्कार में लगने वाली लकड़ियों की 25 से 30 फ़ीसदी की खपत में कमी आएगी। इससे पर्यावरण को भी नुकसान कम पहुंचेगा। दाह संस्कार में लकड़ियों की खपत कम करने के लिए पराली के साथ-साथ उपलों का भी सहारा लिया जाएगा इसके लिए दिल्ली- एनसीआर की विभिन्न गौशाला से उपले खरीदने की भी तैयारी है। इसके लिए गौशालाओं को उपलों का उचित दाम भी दिया जाएगा।
पराली और उपलों से दाह संस्कार की व्यवस्था के बाद निगम के घाटों में दाह संस्कार के खर्चे में 20 फ़ीसदी की भी कमी आने का अनुमान है। इस संबंध में महापौर जयप्रकाश का कहना है कि एक और जहां दाह संस्कार के खर्चे में कमी आएगी वहीं, दूसरी और लोगों को गांव की तर्ज पर पारंपरिक तरीके से उपयोग और पराली के माध्यम से दाह संस्कार करने की भी सुविधा मिलेगी।
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