उज्जैन। उज्जैन नगर निगम की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है ठेकेदारों को भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है, वहीं हर महीने कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़ रहे हैं। नगर निगम को यदि ठीक ढंग से चलना है तो बड़ी योजनाओं को मंजूर कर उनकी राशि लाना होगी और आय के संसाधन बढ़ाने पड़ेंगे।
नगर निगम की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो चुकी है और इस वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए अब नगर निगम के जनप्रतिनिधियों सहित अफसर को बड़े कदम उठाने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री के गृह नगर में नगर निगम की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। पिछले कई महीनों से चुंगी क्षतिपूर्ति का 12 करोड़ रुपए हर महीने अनुदान मिलता था वह अब मात्र 5 से 7 करोड़ रुपए ही मिल रहा है। ऐसे में हर महीने 5 करोड़ का प्रबंध नगर निगम को करना पड़ रहा है। 12 करोड़ नगर निगम के वेतन पर खर्च हो जाते हैं और दो से ढाई करोड़ रुपए का बिजली का बिल हर महीने स्ट्रीट लाइट का आता है। इसके अलावा मेंटेनेंस भी तीन से चार करोड़ रुपए का हर महीना खर्च होता है। इस प्रकार 16 से 18 करोड़ रुपए हर महीने नगर निगम के खर्च होते हैं और शासन से मात्र 6 से 7 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। ऐसे में 10 से 12 करोड़ रुपए का प्रबंध नगर निगम को करना पड़ रहा है और मद बदलना पड़ते हैं। इसके अलावा बड़ी योजना के पैसे भी नगर निगम में नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब नगर निगम के महापौर सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को नगर निगम के लिए बड़ी योजना के लिए प्लान बनाकर राज्य शासन से बड़ा बजट लाना पड़ेगा, वहीं नगर निगम की आय बढ़ाने के संसाधन जुटाना पढ़ेंगे, नहीं तो नगर निगम को आर्थिक तकलीफ हमेशा बनी रहेगी और ऐसे में विकास के कार्य नहीं हो पाएँगे तथा सिंहस्थ के कार्यों में भी नगर निगम काफी पीछे रह जाएगा।
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