मुंबई (Mumbai)। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai train blast ) की लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार धमाकों को मंगलवार को 17 साल पूरे हो गए। हालांकि, निचली अदालत से 2015 में दोषी करार पांच (5 culprits hanged) लोगों की मौत की सजा पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) में अब तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है।
निचली अदालत ने इन धमाकों में कुल 12 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 5 को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। एक आरोपी को बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने इसके िखलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। वहीं, दोषियों ने भी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।
नौ पीठें बनीं, दो जजों ने खुद अलग किया
राज्य सरकार और दोषियों की याचिकाएं नौ अलग-अलग पीठों के समक्ष सुनवाई के लिए आईं। नवंबर 2022 में जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस पीडी नाइक ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उसके बाद से मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
15 मिनट में सात धमाकों से दहली थी मुंबई
11 जुलाई 2006 को शहर की लोकल ट्रेनों की पश्चिमी लाइन पर अलग-अलग स्थानों पर 15 मिनट के भीतर हुए सात विस्फोटों में 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। सैंकड़ों लोग घायल हो गए थे। पहला धमाका शाम 6:20 बजे के बाद चर्चगेट से बोरीवली के बीच चलनेवाली ट्रेन में खार और सांताक्रूज स्टेशन के बीच हुआ। इस मामले में महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 2006 से 2008 के बीच आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के 13 कथित सदस्यों को गिरफ्तार किया।
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