मुंबई । मुंबई (Mumbai) के कुर्ला (Kurla) में 10 दिसंबर की रात एक अनियंत्रित BEST बस ने लोगों को कुचल दिया. इस दुर्घटना में 7 लोगों की मौत हो गई और 42 अन्य घायल हो गए. आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि उन्हें संदेह है कि ‘मानवीय भूल’ और ‘उचित प्रशिक्षण की कमी’ के कारण यह भीषण दुर्घटना (Accident) हुई.
बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की ई-बस ने कुर्ला (पश्चिम) में एसजी बर्वे रोड पर सोमवार रात लगभग 9.30 बजे पैदल यात्रियों और वाहनों को टक्कर मार दी. बस ड्राइवर संजय मोरे (54) को गिरफ्तार कर लिया गया है. घटना के कुछ घंटे बाद वडाला आरटीओ की एक टीम मौके पर पहुंची और दुर्घटना में शामिल ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड कंपनी की इलेक्ट्रिक बस को मुंबई पुलिस की मदद से रात 12.30 बजे दुर्घटनास्थल से हटाया, जिसे करीब 1.15 बजे कुर्ला डिपो ले जाया गया.
मोटर वाहन निरीक्षक भरत जाधव के नेतृत्व में आरटीओ टीम ने मंगलवार सुबह बेस्ट के कुर्ला डिपो में दुर्घटनाग्रस्त बस का निरीक्षण पूरा किया. टीम ने पाया कि बस के ब्रेक अच्छी तरह से काम कर रहे थे. आम तौर पर मोटर वाहन निरीक्षक ही निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार वाहनों का निरीक्षण करते हैं, लेकिन घटना की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी आरटीओ पल्लवी कोठावड़े अन्य अधिकारियों के साथ खुद कुर्ला पहुंचीं और इंस्पेक्शन के दौरान मौजूद रहीं.
बस के ब्रेक ठीक काम कर रहे थे, लाइटें सही थीं
महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट कमिश्नर विवेक भीमनवार ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि आरटीओ टीम ने बस की जांच की है, लेकिन ओलेक्ट्रा के इंजीनियरों की रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है. उन्होंने कहा, ‘हमारी टीम ने निर्धारित एसओपी के अनुसार बस की जांच की है. हम अपनी जांच रिपोर्ट मुंबई पुलिस को सौंपेंगे.’ नाम न बताने की शर्त पर एक आरटीओ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि जब आरटीओ टीम ने बस का निरीक्षण किया, तो उन्होंने पाया कि बस के ब्रेक ठीक काम कर रहे थे. हालांकि, वे अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले कुछ और चीजों की जांच करना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने ओलेक्ट्रा और BEST दोनों से कुछ विवरण मांगे हैं.
ड्राइवर के परिजन बोले- वह शराब नहीं पीता है
शुरुआत में आशंका जताई गई थी कि ब्रेक फेल होना हादसे का कारण हो सकता है. ड्राइवर संजय मोरे के परिवार वालों ने भी यही दावा किया कि ब्रेक फेल होने के कारण यह घटना हुई. परिजनों का यह भी कहना था कि ड्राइवर मोरे शराब नहीं पीता है. अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि ड्राइवर को बिना क्लच और गियर वाली ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन बस चलाने का अनुभव नहीं था. उसे 12 मीटर लंबी बस चलाने की अनुमति देने से पहले शायद उचित प्रशिक्षण नहीं दिया गया था. यदि किसी ड्राइवर को ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन बस चलाने का अनुभव नहीं है, तो उसे शुरुआत में एक्सीलरेशन और ब्रेकिंग का अंदाजा नहीं मिल पाता है. इसलिए, ऐसा लगता है कि मानवीय त्रुटि दुर्घटना का कारण हो सकती है.’
पूरी दुर्घटना 52 से 55 सेकंड के भीतर घट गई
अधिकारी ने बताया कि आरटीओ टीम द्वारा दुर्घटनाग्रस्त बस के निरीक्षण के दौरान, ब्रेक और हेडलाइट्स सहित अन्य सभी सिस्टम ठीक से काम करते पाए गए. आरटीओ सूत्रों ने कहा कि इलेक्ट्रिक बस सिर्फ तीन महीने पुरानी थी. इसे 20 अगस्त, 2024 को EVEY TRANS के नाम पर रजिस्टर किया गया था. ड्राइवर संजय मोरे की हायरिंग पुणे स्थित थर्ड-पार्टी एजेंसी के माध्यम से की गई थी. आरटीओ अधिकारियों के अनुसार, इंस्पेक्शन टीम ने बस के अंदर लगे सभी तीन सीसीटीवी कैमरों की जांच की, और उनके फुटेज से पता चलता है कि पूरी दुर्घटना 52 से 55 सेकंड के भीतर घट गई.
बस ड्राइवर को नहीं दी गई थी ठीक से ट्रेनिंग?
ई-बस ने पहले वाहन से टकराने के बाद 400 से 450 मीटर की दूरी तय की और अंत में कुर्ला स्टेशन वेस्ट से साकीनाका की ओर जाते समय एसजी बर्वे रोड पर एक हाउसिंग सोसाइटी की दीवार से टकरा गई. आरटीओ अधिकारियों को यह भी संदेह है कि बस के पहले वाहन से टकराने के बाद ड्राइवर घबरा गया होगा और उसने गति बढ़ा दी होगी, जिसके कारण सोसाइटी की दीवार से टकराने से पहले उसने रास्ते में आने वाली हर चीज को टक्कर मार दी. ड्राइवर के रिकॉर्ड के अनुसार, वह 29 नवंबर, 2024 को ड्यूटी में शामिल हुआ था और उसे 1 दिसंबर से इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए दी गई थी.
BEST प्रशासन और ड्राइवर के परिवार ने उसकी ट्रेनिंग के बारे में विरोधाभासी बयान दिए हैं. पत्रकारों से बात करते हुए, BEST के महाप्रबंधक अनिल दिग्गिकर ने दावा किया कि संजय मोरे को तीन दिनों की इंडक्शन ट्रेनिंग दी गई थी, जबकि ड्राइवर के बेटे दीप मोरे ने दावा किया कि उसके पिता को इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए दिए जाने से पहले 9 से 10 दिनों की ट्रेनिंग दी गई थी. आरटीओ टीमों को अभी तक उसके ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी पुलिस से नहीं मिल पाई है.
ई.-बस में एयर-असिस्टेड ब्रेकिंग सिस्टम नहीं होता
बेस्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, संजय मोरे नवंबर 2020 से 7 से 9 मीटर लंबी मिनी बसें चला रहे थे. उन्हें 12-मीटर इलेक्ट्रिक बस चलाने का कोई अनुभव नहीं था. वह डागा ग्रुप में जॉइन करने से पहले एमपी ग्रुप के लिए काम कर रहे थे. एमपी ग्रुप ने हाल ही में BEST की फ्लीट से अपनी लगभग 280 मिनी बसें वापस ले ली थीं. एक रिटायर्ड आरटीओ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन इलेक्ट्रिक बसें और मैनुअल ट्रांसमिशन पेट्रोल-डीजल-सीएनजी बसों में अलग-अलग सिस्टम हैं. इसलिए, ड्राइवरों को इलेक्ट्रिक बसें चलाने की आदत डालने में कुछ समय लगता है. यह दुर्घटना संभवत: जानकारी की कमी के कारण हुई मानवीय भूल है. ड्राइवर को शायद उचित जानकारी नहीं थी, क्योंकि ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन इलेक्ट्रिक बसों में एयर-असिस्टेड ब्रेकिंग सिस्टम नहीं होता है.’
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