मुम्बई। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने शनिवार को एक याचिकाकर्ता (Petitioner) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना (Fine Rs 5 lakh) लगाया। अदालत ने एक ही तरह की राहत के लिए कई मुकदमे दायर करने और न्यायिक संसाधनों को बर्बाद करने के लिए यह कदम उठाया। न्यायालय ने शुक्रवार को पारित आदेश में मेसर्स परफेक्ट इंफ्राइंजीनियर्स लिमिटेड की प्रमोटर और गारंटर याचिकाकर्ता मनीषा मेहता को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी-1), मुंबई की ओर से 15 जुलाई को पारित आदेश को चुनौती दी है। इसे लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय की विभिन्न पीठों के समक्ष कई याचिकाएं दायर की थीं।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से गंभीर तात्कालिकता का हवाला दिया। साथ ही, कोर्ट का तीन घंटे का समय बर्बाद करने पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की जबकि उसके पास प्रतिदिन सुनवाई के लिए 150-200 से अधिक मामले सूचीबद्ध हैं। पीठ ने न्यायिक समय बर्बाद करने के लिए 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, बार-बार याचिका दायर करने के उनके आचरण के लिए 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अब याचिकाकर्ता को यह राशि 30 दिनों के भीतर जमा करानी होगी।
जज के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट के आरोप में FIR दर्ज
दूसरी ओर, केरल उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को निशाना बनाकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि शिकायत दर्ज कराने वाले उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कुलथुर जयसिंह ने आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि फेसबुक पर न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन को निशाना बनाकर की गई अपमानजनक पोस्ट का उद्देश्य उनके हालिया फैसले को लेकर दंगा भड़काना था। पुलिस ने बताया कि कोच्चि के साइबर अपराध पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त पी. विमलादित्य ने सहायक पुलिस आयुक्त एमके मुरली को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है।
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