नई दिल्ली: मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी का कंसोर्टियम अपने केजी बेसिन से नेचुरल गैस की नीलामी कर रहा है. यह नीलामी क्रूड-लिंक्ड फ्लोर प्राइस पर होगी. यह प्राइस मौजूदा दर पर सरकार द्वारा निर्धारित लिमिट से ज्यादा है. यानी नीलामी जीतने वाले प्लेयर को ज्यादा पेमेंट करना होगा. इस नीलामी से मुकेश अंबानी और उनके कंसोर्टियम ने मेाटी कमाई करने का पूरा प्लान बना लिया है.
ईटी ने बिड डॉक्युमेंट्स के हवाले से कहा कि कंसोर्टियम ने ई-नीलामी का दिन 21 नवंबर रखा है. इस दिन कंसोर्टियम ने 4 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन नेचुरल गैस बेचने का ऑफर किया है. एक दिसंबर से सप्लाई शुरू हो जाएगी.
कैसे तय होगी नीलामी में गैस की कीमत
नीलामी में गैस की कीमत उक्त दिन के ब्रेंट प्राइस के मुकाबले 12.67 फीसदी से अधिक प्रीमियम वाले फॉर्मूले पर तय होगी. बोली लगाने वालों को प्रीमियम भी बताना होगा, जो 1.08 डॉलर और 4.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के बीच होना जरूरी है. कच्चे तेल की मौजूदा कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पर, नीलामी में न्यूनतम और अधिकतम कीमत क्रमश: 12.4 डॉलर और 15.9 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगी.
6 महीने में कीमत तय करती है सरकार
12.4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की न्यूनतम कीमत सरकार द्वारा निर्धारित 9.96 डॉलर की अधिकतम कीमत से ज्यादा है. यह प्राइस आरआईएल-बीपी के केजी ब्लॉक जैसे गहरे समुद्र इलाकों से प्रोड्यूस्ड सभी नेचुरल गैस पर लागू होती है. सरकार हर छह महीने में गहरे समुद्र से निकली गैस की अधिकतम कीमत में बदलाव करती है. मौजूदा कीमत मार्च 2024 तक वैध है. यदि भविष्य में कच्चे तेल की दर गिरती है, तो आरआईएल-बीपी गैस के लिए गैस खरीदार द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत सरकार द्वारा निर्धारित लिमिट से नीचे जा सकती है. भविष्य में होने वाले बदलावों में प्राइस कैप में गिरावट से खरीदारों की कॉस्ट में भी कटौती होगी.
दो साल हुई है मोटी कमाई
पिछले दो सालों से ग्लोबल मार्केट में नेचुरल गैस की कीमतें बहुत ज्यादा रही हैं, जिससे रिलायंस, बीपी और ओएनजीसी जैसे घरेलू उत्पादकों की इनकम में इजाफा हुआ है. पिछले एक साल से घरेलू गहरे समुद्र की गैस अक्सर सरकार द्वारा निर्धारित सीमा पर बेची गई है क्योंकि आयातित गैस कहीं अधिक महंगी है. जापान कोरिया मार्कर, स्पॉट लिक्विफाइड नेचुरल गैस के लिए उत्तर एशियाई बेंचमार्क, वर्तमान में लगभग 18 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है. आरआईएल-बीपी नीलामी में, बोली लगाने वाले को प्राइस, वॉल्यूम और टन्योर बताना होगा. एक पार्टिसिपेंट मिनिमम वॉल्यूम 10,000 स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन के लिए बोली लगा सकता है. खरीद की अवधि 3, 4 या 5 वर्ष हो सकती है.
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