नई दिल्ली: एशिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) अपने पिता धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) के जन्मदिन (Birthday) यानी 28 दिसंबर को एक नई कंपनी का अधिग्रहण करने जा रहे हैं. यह अधिग्रहण होगा जर्मन रिटेलर मैट्रो (Metro) एजी कैश एंड कैरी का.
4 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की यह डील लगभग फाइनल हो चुकी है. मुकेश अंबानी मैट्रो के 31 स्टोर्स को मल्टी ब्रांड रिटेल चेन बनाने का विचार कर रहे हैं. इस टेकओवर के साथ मुकेश अंबानी एक और नई जंग का आगाज कर देंगे. मैट्रो कैश एंड कैरी के एक्विजिशन के साथ मुकेश अंबानी का सीधा मुकाबला राधाकिशन दमानी के रिटेल चेन डीमार्ट और हाईपर मार्केट से होना तय है.
जानकारों की मानें तो रिलायंस लगभग 500 मिलियन यूरो (4,060 करोड़ रुपये) की अनुमानित डील में मेट्रो की भारत यूनिट का अधिग्रहण करेगी, जिसमें देश में मेट्रो कैश एंड कैरी के स्वामित्व वाले 31 होलसेल डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स, लैंड बैंक्स और अन्य असेट्स शामिल हैं. इससे देश के सबसे बड़े रिटेलर रिलायंस रिटेल को बी2बी सेगमेंट में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस ने भारत में मेट्रो के कारोबार के लिए ड्यू डिलिजेंस पूरा कर लिया है, जो सालाना करीब 1 अरब डॉलर का रेवेन्यू पैदा करता है और मुनाफा कमा रहा है. हालांकि ट्रांजेक्शन के कानूनी पहलुओं को अंतिम रूप देने के साथ-साथ कर्मचारियों और दुकानों की स्थिति से संबंधित कुछ चर्चा की जा रही है. स्वामित्व में बदलाव और काम के नए माहौल को लेकर मेट्रो के 4,000 कर्मचारियों में कुछ चिंताएं हैं, लेकिन रिलायंस शायद लोगों को बनाए रखने के लिए उत्सुक है. 31 स्टोरों में से अधिकांश प्रोफिटेबल दिखाई दे रहे हैं.
आपको बता दें कि भारत के विदेशी निवेश नियम फॉरेन प्लेयर्स को मल्टी-ब्रांड रिटेल बिजनेस में एंट्री करने से रोकते हैं, मेट्रो जैसे प्लेयर्य को खुद को कैश-एंड-कैरी होलसेल तक सीमित रखने और होटल्स, कार्यालयों और किराना स्टोरों को बेचने के लिए मजबूर करते हैं. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार व्यापारियों की ओर से कई सेल बिक्री मेट्रो के लिए लगभग आधा रेवेन्यू जेनरेट करती है, अन्य एक तिहाई आॅफिसों से आता है. होलसेल शॉप्स में बी2सी कारोबार को जोड़ने के लिए ऑपरेटिंग मॉडल में बदलाव की आवश्यकता होती है.
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