इंदौर। शहर का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल महाराज तुकोजीराव होलकर हॉस्पिटल लंबे समय से गंभीर बीमारी से ग्रसित है। बीमारी का नाम है अव्यवस्था, अनदेखी और लापरवाही। बीमारी की वजह सरकारी सिस्टम और जिम्मेदारों का गैरजिम्मेदाराना रवैया है। हॉस्पिटल में मरीजों की सुविधा के नाम पर इलाज को छोडक़र कुछ उपलब्ध नहीं है। यहां की लिफ्ट और पैथालॉजी बंद है। सरकारी सप्लाय की चीजों से लेकर पानी तक खत्म है। इसके कारण यहां आने वाले मरीज और परिजन ठीक होने के बजाय परेशान हो रहे हैं।
करीब 50 करोड़ की लागत से बना यह सरकारी हॉस्पिटल मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए बनाया गया है। इसे कोरोना काल के समय शुरू किया गया था, लेकिन शुरुआत से ही यहां कई तरह की कमियां बनी हुई हैं। यहां के डॉक्टर्स तक अब इन कमियों से परेशान हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि नए कलेक्टर जल्द ही यहां की व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा करने जा रहे हैं तो ये जरूरी है कि उन्हें यहां की हर समस्या पता हो।
ये बड़ा सरकारी अस्पताल तो है, लेकिन यहां इलाज के लिए जरूरी कोई भी चीज उपलब्ध नहीं है। हालत ये है कि सरकारी सप्लाय की दवाई से लेकर उपचार में उपयोग की जाने वाली हर चीज खत्म है। इसमें ग्लब्स और पट्टियों जैसे बैसिक चीजें भी शामिल हैं। इसके चलते उपचार के पहले ही मजबूरन इन चीजों को लाने के लिए मरीजों को पर्चा थमाया जा रहा है। वहीं गरीब मरीजों को परेशान देख कई डॉक्टर अपने पास से, अपने खर्च से दवाइयां और जरूरी उपचार का सामान बैग में साथ लेकर जा रहे हैं। इसे लेकर कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को खुद डॉक्टर शिकायत कर चुके हैं।
पैथालॉजी है पर मशीन ही नहीं, ज्यादातर सैंपल भेजे जा रहे एमवायएच
यहां बड़ी राशि खर्च करते हुए एक बड़ी प्रयोगशाला (पैथालॉजी) और ब्लड बैंक भी बनाई गई है, लेकिन यह सिर्फ सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक ही खुली रहती है। टेक्नीशियंस की कमी के चलते इसे बंद कर दिया जाता है। वहीं यहां ज्यादातर जांचों के लिए जरूरी ऑटो-एनालाइजर मशीन को कोरोना काल में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल भेज दिया गया था, जहां से अब तक वापस नहीं आई है, न ही इसकी जगह दूसरी मशीन लाई गई है। इसके कारण यहां ज्यादातर जांच भी नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में मजबूरन मरीजों या परिजनों को जांच के लिए एमवायएच भेजा जाता है। इन्हें एक बार सैंपल देने के लिए और एक बार रिपोर्ट लेने के लिए एमवायएच के चक्कर लगाना पड़ते हैं। महिला मरीजों की जान बचाने के लिए जरूरी ब्लड भी पूरे समय उपलब्ध नहीं होने के कारण परिजनों को एमवायएच तक दौड़ लगाना पड़ती है। शहर के बाहर से आए लोगों के लिए यह और ज्यादा मुश्किलभरा होता है।
ना पीने का पानी, ना उपयोग और सफाई का
देश के सबसे स्वच्छ शहर का ये अस्पताल स्वच्छता में पीछे है। यहां की सफाई व्यवस्था देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि ये इंदौर का अस्पताल है। वहीं यहां पानी एक बड़ी समस्या है। यहां मरीजों और डॉक्टरों के लिए अकसर पीने तक का पानी नहीं आता। इसके साथ ही अन्य शौचालयों में उपयोग व सफाई का पानी भी अकसर बंद ही रहता है, जिससे सफाई भी प्रभावित हो रही है।
मरीज -परिजन परेशान
एमटीएच हॉस्पिटल में मरीजों की सुविधा के लिए चार लिफ्ट लगाई गई हैं, लेकिन पिछले चार माह से मेंटेनेंस के अभाव में सभी लिफ्ट बंद पड़ी हैं। इसके कारण मरीजों से लेकर परिजन और डॉक्टर व स्टाफ को पैदल ही नीचे से ऊपर का सफर करना पड़ता है। इसे लेकर कई शिकायतों के बाद भी इसका सुधार नहीं हो पा रहा है। मरीजों और परिजनों के लिए यह सफर सबसे ज्यादा कठिन साबित हो रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved