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MS Dhoni सोशल मीडिया से क्यों रहते है दूर? PR पर दिया काम का ‘ज्ञान’, जानें

January 01, 2025

नई दिल्‍ली । दो बार के विश्व कप विजेता पूर्व भारतीय (Former Indian World Cup Winners)कप्तान महेंद्र सिंह धोनी(captain Mahendra Singh Dhoni) ने कहा कि अच्छा क्रिकेट खेलते रहने से जनसंपर्क (Public Relations) की कोई जरूरत नहीं होती है। धोनी ने हाल ही एक बातचीत के दौरान दो दशक पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से अपनी शानदार यात्रा पर विचार साझा करते हुए बताया कि कैसे उनके प्रबंधक अक्सर जनसंपर्क के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाने का सुझाव देते थे लेकिन वह हमेशा इससे दूर रहे।

‘मैं सोशल मीडिया का फैन नहीं रहा’

धोनी ने ‘यूरोग्रिप टायर्स’ के ‘ट्रेड टॉक्स’ के नवीनतम एपिसोड में कहा, ‘‘मैं कभी भी सोशल मीडिया का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं रहा। मेरे साथ कई प्रबंधकों ने काम किया और वे मुझे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की सलाह देते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2004 में खेलना शुरू किया था, इसलिए ट्विटर और इंस्टाग्राम लोकप्रिय हो रहे थे और प्रबंधक कई तरह के तर्क देकर कह रहे थे कि आपको कुछ पीआर बनाना चाहिए, लेकिन मेरा एक ही जवाब था कि अगर मैं अच्छा क्रिकेट खेलता हूं तो मुझे पीआर की जरूरत नहीं है।’’


‘मैं इन चीजों का तनाव नहीं लेता हूं’

उन्होंने कहा, ‘‘तो यह हमेशा होता था कि अगर मेरे पास (सोशल मीडिया के लिए) कुछ साझा करने जैसा होता है तो मै साझा करूंगा। मैं इन चीजों का तनाव नहीं लेता हूं कि किसके कितने फॉलोअर्स हैं, कौन क्या कर रहा है क्योंकि मैं जानता हूं कि अगर मैं क्रिकेट का ध्यान रखूंगा तो बाकी सब कुछ अपने आप हो जाएगा।’’ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को 2020 में अलविदा कहने वाले 43 साल के धोनी इंडियन प्रीमियर लीग के आगामी (18वां सत्र) सत्र में खेलने की तैयारी शुरू करने वाले है। उन्होंने माना कि उम्र के इस पड़ाव पर फिटनेस बनाये रखना काफी चुनौतीपूर्ण है।

‘बहुत सारे खेलों से मिलती है मदद’

झारखंड के इस करिश्माई विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैं पहले की तरह फिट नहीं हूं, फिट रहने के लिए आप क्या खा रहे हैं इस पर अब बहुत नियंत्रण करने की जरूरत है और मैं क्रिकेट के लिए फिट रहने के लिए बहुत खास काम कर रहा हूं। मैं तेज गेंदबाज नहीं हैं इसलिए हमारी जरूरतें उतनी अधिक नहीं हैं।’’ धोनी ने कहा, ‘‘मुझे वास्तव में खाने और जिम जाने के बीच बहुत सारे खेल खेलने से मदद मिलती है। इसलिए जब भी मुझे समय मिलता है तो मैं कई अलग-अलग खेल जैसे कि टेनिस, बैडमिंटन, फुटबॉल खेलना पसंद करता हूं। यह खेल मुझे व्यस्त रखते हैं। यह फिटनेस बनाये रखने का सबसे अच्छा तरीका है।’’

‘मुझे अब ये कमी महसूस नहीं होती’

भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक माने जाने वाले धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की कमी नहीं खलती है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने इस खेल से देश को गौरवान्वित करने अपनी भूमिका निभा ली है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सोचा था कि मुझे और समय मिलेगा, लेकिन यह थोड़ी निराशा की बात है कि मुझे ज्यादा समय नहीं मिला। मुझे अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की कमी महसूस नहीं होती है क्योंकि मैं हमेशा मानता हूं कि आप कुछ सोच समझ कर अपने फैसले लेते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक बार जब आपने निर्णय ले लिया तो उसके बारे में सोचने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए मैं अपने देश के लिए जो कुछ भी कर पाया, भगवान की कृपा से बहुत खुश हूं।’’

‘मैं दोस्तों के साथ समय बिताता हूं’

इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने कहा, ‘‘इसके अलावा यह मजेदार रहा है। मैं दोस्तों के साथ काफी समय बिता पाता हूं। मैं काफी अधिक मोटरसाइकिल सवारी कर सकता हूं। यह हालांकि लंबी यात्रा नहीं होती है। यह मेरे दिल के बहुत करीब है।’’ धोनी ने कहा, ‘‘यह अच्छा रहा, परिवार के साथ समय बिता पा रहा हूं।’’ धोनी ने 60 टेस्ट मैचों में भारत का नेतृत्व किया, जिनमें से उन्होंने 27 बार जीत हासिल की, 18 हारे और 15 ड्रा रहे। 45.00 के जीत प्रतिशत के साथ, वह सभी युगों में भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। उन्होंने भारत को आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान तक पहुंचाया और इतिहास में एकमात्र कप्तान है, जिन्होंने आईसीसी के सभी तीन सीमित ओवरों के खिताब जीते हैं। उन्होंने 2007 में टी20 विश्व कप, 2011 में वनडे विश्व कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है।

‘मेरे माता-पिता को त्याग करना पड़ा’

धोनी ने जीवन में अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और करीबी दोस्तों को दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता…क्योंकि उन्हें बहुत त्याग करना पड़ा और मुझे लगता है कि आज मेरे पास जो बहुत अनुशासन है, वह मेरे माता-पिता के कारण है। दोस्त हमेशा महत्वपूर्ण होते हैं।’’ मैदान पर अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाने वाले धोनी ने 200 एकदिवसीय मैचों में भारत की कप्तानी की। भारतीय टीम ने इसमें 110 मैच जीते, 74 हारे और पांच मैच ड्रा रहे। टी20 अंतरराष्ट्रीय में उन्होंने 74 मैचों में भारत का नेतृत्व किया और टीम को 41 जीत दिलाई।

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