इन्दौर। शासन (Governance) ने पिछले दिनों ही नगर निगम (corporation) को चार प्रमुख सडक़ों के निर्माण हेतु 171 करोड़ का लोन देने की मंजूरी दी है, जिसका खुलासा अग्निबाण ने किया था। 1975 के मास्टर प्लान की महत्वपूर्ण सडक़ें ही आज तक नहीं बनी। अब लम्बे समय तक विवादित रही एमआर-3 (MR-3) का निर्माण भी नगर निगम करने जा रहा है। पिपल्यापाला स्थित रीजनल पार्क से बायपास तक सीमेंट कांक्रीट की 150 फीट चौड़ी फोर लेन सडक़ के लिए निगम ने 48 करोड़ 41 लाख रुपए का ऑनलाइन टेंडर जारी कर दिया है। 4.1 किलोमीटर लम्बाई की इस सडक़ में हालांकि कोई अतिक्रमण या अवैध निर्माण नहीं है, बल्कि अधिकांश जमीन पर खेती ही हो रही है और ये जमीनें रसूखदारों के पास भी है। नगर निगम बेटरमेंट चार्ज की राशि सडक़ निर्माण के एवज में जमीन मालिकों से वसूल करेगा।
इंदौर (Indore) के मास्टर प्लान में घोषित सडक़ों के अलावा इंदौर विकास प्राधिकरण ने भी 1 से लेकर 12 तक मेजर रोड चिन्हित की थी, जिन्हें एमआर कहा जाता है। इनमें से कुछ सडक़ें तो प्राधिकरण ने बना दी, वहीं एमआर-3, एमआर-5 और एमआर-9 के अलावा आरई-2 का निर्माण नगर निगम करेगा। हालांकि आरई-2 का एक हिस्सा प्राधिकरण बना रहा है। इन चार प्रमुख सडक़ों के लिए नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय भोपाल ने पिछले दिनों ही निगम को 171 करोड़ का लोन देने की मंजूरी दी है। दरअसल नगर निगम लोन लेकर इन सडक़ों का निर्माण करेगा और फिर यह राशि बेटरमेंट टैक्स के रूप में जमीन मालिकों से वसूल भी की जाएगी। आरई-2 में इसकी प्रक्रिया निगम ने शुरू भी कर दी है। वहीं अब एमआर-3 निर्माण के ई-टेंडर भी जारी कर दिए हैं। निगमायुक्त श्रीमती पाल लगातार इन सडक़ों के निर्माण की समीक्षा करती रही हैं। अधीक्षण यंत्री योजना जायसवाल के मुताबिक पंजीकृत ठेकेदारों से सडक़ निर्माण के टेंडर बुलाए गए हैं। 16 मार्च को टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि रहेगी और प्री-बिड मीटिंग 2 मार्च को रखी गई है। नगर निगम ने इस सडक़ के निर्माण पर 48 करोड़ 41 लाख की राशि अनुमानित की है। पीपल्यापाला रीजनल पार्क से लेकर बायपास तक सीमेंट कांक्रीट की अलावा मीडियन, सेंट्रल लाइट और बीच में पडऩे वाले एक नाले पर पुल का निर्माण भी किया जाएगा और बिजली की लाइनें शिफ्टिंग का कार्य भी इस ठेके में शामिल रहेगा। चोइथराम चौराहा से पीपल्यापाला, रीजनल पार्क तक 700 मीटर की सडक़ फिलहाल बनी हुई है और उसके आगे से यर एमआर-3 की सडक़ बनना है। दरअसल, इस सडक़ से चूंकि कुछ रसूखदारों की जमीनें जुड़ी रही, जिसके चलते लम्बे समय तक विवादों के कारण इस सडक़ का निर्माण नहीं हो सका। यहां तक कि पूर्व संभागायुक्त जो कि बाद में प्रदेश के मुख्य सचिव भी बने, उन्हें भी इस सडक़ और इससे जुड़े गोल्फ कोर्स की योजना के चलते काफी विवादों का सामना करना पड़ा। मगर अब शहर के लगातार विस्तार, बढ़ते यातायात के चलते इस सडक़ के अलावा अन्य मास्टर प्लान और मेजर रोड का निर्माण अनिवार्य हो गया है। यही कारण है कि अब नगर निगम इन चार प्रमुख सडक़ों का निर्माण करने जा रहा है, जिसमें एमआर-3 के अलावा आरई-2 जो कि भूरी टेकरी से निमावर रोड होते हुए नए आरटीओ तक बनना है। वहीं एमआर-5 का निर्माण इंदौर वायर फैक्ट्री से बड़ा बांगड़दा तक किया जाना है। इसके लिए भी नगर निगम के अधिकारियों ने कल मौका-मुआयना किया है। निगम जल्द ही किसी वित्तीय संस्था या बैंक से 171 करोड़ का लोन लेने की प्रक्रिया भी करेगा, क्योंकि बेटरमेंट चार्ज की राशि उसे बाद में और किश्तों में जमीन मालिकों से प्राप्त होगी। अभी सडक़ों के निर्माण के लिए निगम लोन लेकर राशि खर्च करेगा, जिसके चलते एमआर-3 के निर्माण की टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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