इंदौर। बायपास से एबी रोड होते हुए भौंरासला-उज्जैन को जोडऩे वाले एमआर-12 का निर्माण प्राधिकरण तेजी से करवा रहा है, क्योंकि सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर एमआर-10 के समानांतर इस महत्वपूर्ण रोड का निर्माण जरूरी है, ताकि बाहरी वाहन बाहर से ही सीधे बायपास पहुंच सकें। 14 किलोमीटर लम्बे और 60 मीटर चौड़े इस रोड का निर्माण हालांकि टुकड़ों में हो रहा है और अब इसमें बाधक 30 से अधिक ईंट भट्टों को भी एक हफ्ते में हटा दिया जाएगा, जिसके लिए कलेक्टर ने राजस्व अमले की टीम भी गठित कर दी है। हालांकि इस रोड पर एक सबसे बड़ी बाधा रविदास नगर की भी है, जहां दो हजार से अधिक मकान बने हैं।
प्राधिकरण द्वारा घोषित अधिकांश एमआ अब भी आधे-अधूरे हैं, तो एमआर-11 का निर्माण भी इन दिनों चल रहा है। दूसरी तरफ एमआर-10 अवश्य पूरा हो गया और अब एमआर-12 पर प्राधिकरण का फोकस है। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक योजना टीपीएस-8 के तहत इस रोड को बनाया जा रहा है, जिस पर एक रेलवे लाइन, ओवरब्रिज और कान्ह नदी पर हाईलेवल ब्रिज का निर्माण भी किया जाएगा। अभी तक लगभग ढाई किलोमीटर का हिस्सा बन चुका है। इसमें जमीन मालिकों से भी प्राधिकरण द्वारा समन्वय किया जा रहा है। दरअसल, सिंहस्थ-2028 के मद्देनजर इस रोड का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अभी इंदौर-उज्जैन यातायात का पूरा दबाव एमआर-10 पर पड़ता है और उसके समानांतर एमआर-12 का निर्माण होने पर सीधे भौंरासला से एबी रोड होते हुए बायपास पहुंचा जा सकेगा।
पिछले दिनों बायपास से कैलोदहाला तक के 3 किलोमीटर के हिस्से में प्राधिकरण ने सडक़ का निर्माण शुरू करवाया, जिस पर 13 करोड़ रुपए की राशि खर्च हो रही है। हालांकि एक सबसे बड़ी बाधा रविदास नगर की है, जो कि अवैध बस्ती तो है, मगर 2 हजार से अधिक कच्चे-पक्के मकान बने हैं, जिन्हें हटाने पर वैकल्पिक व्यवस्थापन करना पड़ेगा, जिसके लिए प्राधिकरण आवास योजना में बने मकानों में यहां रहने वालों को शिफ्ट किया जा सकता है। दूसरी तरफ 30 से अधिक ईंट भट्टे भी हैं, जिनमें हालांकि उत्पादन बंद पड़ा है। पूर्व में ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इन ईंट भट्टों को बंद करवा दिया था। अब इनकी बाधाओं को भी दूर किया जाएगा। यानी ये ईंट भट्टे भी हटेंगे। कलेक्टर आशीष सिंह ने इसके लिए एसडीओ मल्हारगंज को जिम्मेदारी दी है और एक टीम का गठन भी किया गया, जिसमें निधि वर्मा के साथ तहसीलदार शेवाल सिंह, प्राधिकरण के सम्पदा अधिकारी मनीष श्रीवास्तव, अभियंता सीपी मूंदड़ा, सहायक यंत्री दिनेश गोयल, राजस्व निरीक्षक अरुण तिवारी, पटवारी नवीन वसूनिया, प्रदीप चौहान के अलावा प्रदूषण विभाग के भी अधिकारी शामिल रहेंगे। अभी पिछले दिनों ही संभागायुक्त और प्राधिकरण अध्यक्ष दीपक सिंह ने भी एमआर-12 पर चल रहे रोड निर्माण और आ रही बाधाओं का मौका-मुआयना किया था और संबंधित अधिकारियों को ईंट भट्टे सहित अन्य बाधाओं को हटाने के निर्देश भी दिए गए। इंदौर के तेजी से हो रहे विस्तार और अभी इंदौर-उज्जैन रोड पर धड़ाधड़ कॉलोनियां भी कट रही है, जिनका फिलहाल दबाव सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 पर ही है और एमआर-12 बनने के बाद यातायात सुगम होगा। बायपास पर हो रही बसाहट को देखते हुए भी यह रोड अत्यंत जरूरी है। वहीं रविदास नगर बस्ती सहित कुछ बाधाओं को हटाना जरूर मुश्किल साबित होगा। प्राधिकरण ने आरओबी और नदी पर बनने वाले ब्रिज के लिए सिंहस्थ मद से राशि की मांग भी की है। बायपास पर अरण्डया गांव से शुरू होकर यह एमआर-12 लवकुश चौराहा पर मिलता है और इसके दो हिस्से हैं। बायपास से एबी रोड और वहां एबी रोड से उज्जैन रोड तक यह निर्मित होना है। ट्रांसपोर्ट हब योजना में भी करीब 800 मीटर के हिस्से पर रोड का निर्माण चल रहा है।
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