Betul (Betul) । मध्य प्रदेश (MP) के जनजाति बहुल जिले बैतूल (Betul) में पाई गई दलहनी फसल ”गडमल” (Gadmal) की इन दिनों देश भर में खाद्यान वैज्ञानिकों के बीच गहन चर्चा है । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा बैतूल जिले की गडमल का नई दलहनी फसल के रूप में आईडेंटीफिकेशन (identification) भी कर दिया गया है। अब इस पर देश के दो बड़े संस्थानों द्वारा अनुसंधान शुरू है। ‘गडमल’ (Gadmal) में पाए जानेवाले पोषक तत्वों को लेकर सभी सकारात्मक दिख रहे हैं।
दरअसल, इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) पूसा नई दिल्ली से सम्बद्ध राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो और कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार में वैज्ञानिकों द्वारा ‘गडमल’ पर विशेष शोध किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा ‘गडमल’ के बीज संग्रहित कर आईसीएआर भेजे गए थे। जहां राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने समर सीजन में ‘गडमल’ के पौधों पर उजागर अनुसंधान किया जा रहा है।
फिलहाल सफलता पूर्वक समर सीजन में पूसा नई दिल्ली स्थित एनबीपीजीआर और कृषि विज्ञान केंद्र नई दिल्ली में ‘गडमल’ के पौधे लहलहा रहे हैं। पूसा नई दिल्ली के साथ ही केव्हीके बैतूलबाजार में गडमल के स्वस्थ्य पौधों में फूल और फल्लियां नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आमतौर पर बैतूल जिले के दामजीपुरा इलाके में खरीफ सीजन में ‘गडमल’ की खेती की जाती है, लेकिन अनुसंधान के दौरान समर सीजन में ‘गडमल’ के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
समर सीजन में अच्छी ग्रोथ; बीमारी भी नहीं
नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित ‘गडमल’ की पैदावार बैतूल जिले के दामजीपुरा क्षेत्र में न्यूनतम रकबे में होती है। यहां के किसान खरीफ सीजन सितम्बर माह में ‘गडमल’ की बोवनी करते हैं। इस दौरान पीला मौजेक के प्रकोप से ‘गडमल’ को नुकसान होता है। एनबीपीजीआर पूसा नई दिल्ली एवं कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार के वैज्ञानिकों द्वारा शोध के तहत अभी समर सीजन में ‘गडमल’ की फार्मिंग की जा रही है। दोनों संस्थानों में ‘गडमल’ के पौधे स्वस्थ्य हैं तथा ग्रोथ भी अच्छी है।
कई जगह अप्रैल माह में ‘गडमल’ के पौधों में फूल और फल्लियां नजर आ रही हैं। समर सीजन में गडमल की अच्छी ग्रोथ से वैज्ञानिक खासे उत्साहित हैं। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप त्रिपाठी एवं कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. व्हीके वर्मा का इसे लेकर कहना है कि यदि समर सीजन में ‘गडमल’ की कटाई के बाद सकारात्मक परिणाम आते हैं तो मिड खरीफ के साथ समर सीजन में भी ‘गडमल’ की खेती का विकल्प किसानों को मिल सकेगा, जिससे यह बहुउपयोगी साबित होगी।
गडमल पर अनुसंधान कर रहे हैं: डॉ. त्रिपाठी
इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च पूसा नई दिल्ली से संबंद्ध राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप त्रिपाठी ने बताया कि एनबीपीजीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में बैतूल जिले की दलहनी फसल गडमल पर अनुसंधान किया जा रहा है। एनबीपीजीआर के वैज्ञानिक डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक अनुसंधान के लिए समर सीजन में भी ‘गडमल’ के प्लांट लगाए गए हैं। प्लाट बीमारी रहित एवं स्वस्थ्य हैं, जिससे मिड खरीफ सीजन के साथ ही समर सीजन में भी ‘गडमल’ ग्रो होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि प्रायमरी रिसर्च में ‘गडमल’ की पहचान दलहनी फसल उड़द के कुल में हो रही है। आगे अनुसंधान में स्पीसीज या नई वैरायटी के रूप में भी ‘गडमल’ की पहचान हो सकती है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में आए परिणामों के आधार पर ‘गडमल’ का वर्गीकरण व पहचान कर पंजीकरण किया जाएगा। साथ ही डेटा कलेक्शन कर रिसर्च पेपर भी तैयार किया जा रहा है, ‘गडमल’ के न्यूट्रीशियन वैल्यू पर भी अनुसंधान किया जा रहा है।
‘गडमल’ के लोकेशन प्लाट डालेंगे: डॉ. वर्मा
कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. व्हीके वर्मा ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि बैतूल जिले की विलुप्त प्राय: हो चुकी दलहनी फसल ‘गडमल’ को नई दलहनी फसल के रूप में आईडेंटीफाइड होने के बाद राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन पूसा नई दिल्ली को ‘गडमल’ बीज के सेम्पल भेजे गए थे, जहां वैज्ञानिकों द्वारा ‘गडमल’ पर शोध किया जा रहा है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्मा का कहना यह भी था कि कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार में भी अनुसंधान के लिए समर सीजन में ‘गडमल’ का एक प्लाट डाला गया था जिसमें ‘गडमल’ के पौधे की ग्रोथ अच्छी है। जबकि ‘गडमल’ उत्पादक किसानों का कहना है कि फसल गर्मी में नहीं होती है। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में जिले के अन्य स्थानों पर भी ‘गडमल’ के लोकेशन प्लाट डालकर रिसर्च किया जाएगा। एजेंसी/हिस
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