छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध संत (famous saint) और रघुवंशी समाज के गौरव (Pride of Raghuvanshi society) कनक बिहारी दास जी महाराज (Kanak Bihari Das Ji Maharaj) का सोमवार सुबह आठ बजे नरसिंहपुर (Narsinghpur) के पास सड़क हादसे में निधन हो गया। वह बरमान से छिंदवाड़ा लौट रहे थे। उनकी कार बाइक सवार को बचाने के चक्कर में अनियंत्रित होकर पलट गई। इससे महंत कनक बिहारी दास जी को गंभीर चोट आई और उनका मौके पर ही निधन हो गया। महाराज के एक शिष्य विश्राम रघुवंशी की भी मौत हो गई। हादसे में उनका ड्राइवर रूपलाल गंभीर रूप से घायल है। ड्राइवर रूपलाल को गंभीर चोट आई है, जिसे नरसिंहपुर के जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महंत के निधन पर शोक प्रकट किया है।
चांद के प्रसिद्ध नोनी कला मंदिर से उनका गहरा लगाव था। वह काफी लंबे समय से यहीं पर विराजमान थी। ऐसे में यहां भव्य नर्मदा पुराण कथा चल रही थी। इसके प्रमुख आयोजन में वह आज शामिल होने वाले थे। सागर-नरसिंहपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अशोकनगर से छिंदवाड़ा जाने के लिए निकले थे। इसी दौरान ग्राम सगरी के पास एक दोपहिया वाहन को बचाने के प्रयास में उनकी एसयूवी डिवाइडर से टकराकर पलट गई। कार इस कदर पलटी कि उसमें मौजूद श्रद्धालु जख्मी हो गए। महंत श्री के साथ उनके एक भक्त की भी मौत हो गई।
महेंद्र कनक बिहारी दास जी महाराज के निधन की खबर लगते ही रघुवंशी समाज में शोक की लहर दौड़ पड़ी। कनक बिहारी जी रघुवंशी समाज के गौरव कहलाते थे। जैसे ही उनके निधन की खबर लोगों को लगी, काफी संख्या में लोग करेली-बरमान के लिए रवाना हो गए। करेली अस्पताल में पोस्टमॉर्टम किया गया।
भगवान श्री राम की भक्ति में लीन रहने वाले महंत कनक बिहारी दास जी महाराज 2024 में फरवरी महीने में श्रीराम महायज्ञ कराने जा रहे थे। इसकी तैयारियों को लेकर ही नरसिंहपुर गए थे। लौटते समय समय वह इस हादसे का शिकार हो गए। उनके निधन से छिंदवाड़ा में रहने वाले उनके सैकड़ों भक्तों में शोक की लहर है। महंत ने 2021 में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए 1.11 करोड़ रुपये की राशि का चेक सौंपा था। यह राशि रघुवंशी समाज के भक्तों से एकत्र करके मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण में समर्पित की थी।
महंत कनक बिहारी दास जी महाराज मूलतः विदिशा के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से लोनीकला श्रीराम जानकी मंदिर में ही रह रहे थे। वे लगातार विदिशा, गुना और अयोध्या में विभिन्न धार्मिक आयोजनों में शामिल होते थे। उनके हजारों शिष्य है, जो महाराज श्री के निधन की खबर लगते ही छिंदवाड़ा पहुंचने लगे हैं।
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