भोपाल । प्रदेश (Madhya Pradesh) के 248 नगरीय निकायों (248 urban Bodies) ने खुले में शौच की समस्या से मुक्ति प्राप्त करते हुये ओडीएफ से ओडीएफ++ (ODF to ODF ++) भारत सरकार (Government of India) के मानदण्डों को पूर्ण कर प्रमाणीकरण प्राप्त किया है। गत वर्ष जहाँ मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के 378 निकायों में से 108 निकाय ही ओडीएफ++ प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सफल हुये थे, वहीं इस वर्ष 248 नगरीय निकायों ने ओडीएफ++ प्रमाणीकरण (ODF ++ Certification) प्राप्त किया है। साथ ही 71 निकाय ओडीएफ+ प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सफल हुये हैं।
इस मामले में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में लगभग 2.5 गुना निकायों ने ओडीएफ++की कड़ी परीक्षा पास की है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि सार्वजनिक, सामुदायिक शौचालय को स्वच्छ रखना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। इस दिशा में निकायों ने निरंतर परिश्रम कर संवहनीयता बनाये रखने में प्रभावी योगदान दिया है। इसका परिणाम है कि 248 शहरों से अधिक निकाय ओडीएफ++ प्रमाणीकरण में सफल हुये हैं।
उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि सभी निकायों के परिणाम आने पर 300 से अधिक नगरीय निकाय ओडीएफ++ प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सफल होंगे। उन्होंने स्वच्छता की ओर प्रयास और परिणाम प्राप्त करने पर निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों, आयुक्त नगर निगम के नेतृत्व और स्वच्छता कर्मियों के परिश्रम की सराहना की है।
वहीं, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी राजेश पाण्डेय का कहना है कि ओडीएफ++ के मानदण्ड अत्यंत कठिन हैं, जिसके अंतर्गत निकाय में कुल उपलब्ध सार्वजनिक, सामुदायिक शौचालय के 25 प्रतिशत शौचालय उत्कृष्ठ मानदण्डों के होने चाहिये। इसमें मुख्य रूप से पानी की निरंतरता, प्रकाश व्यवस्था, सेनेटरी नैपकिन एवं इन्सिनरेटर की व्यवस्था आदि होना अनिवार्य है। शेष शौचालयों में मुलभूत सुविधाओं की व्यवस्था होना भी जरूरी है।
उन्होंने बताया कि यह राज्य स्तर पर किये गये प्रयासों का परिणाम है कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के ओडीएफ घटक अंतर्गत 248 निकायों ने ओडीएफ++ का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लिया है, जिससे सर्वेक्षण में निकायों को 500 अंक प्राप्त होंगे। ओडीएफ++ के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। इसमें भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा नियुक्त टीम द्वारा प्रत्येक शौचालय एवं उसमें उपलब्ध सुविधाओं का आंकलन किया जाता है। साथ ही जन-सामान्य से फीडबैक लेकर टीम अपनी अनुशंसा सहित भारत सरकार को जियो टैग फोटोग्राफ के साथ जानकारी भेजती है। किसी भी स्थिति में चूक होने पर या खुले में शौच पाये जाने पर प्रमाणीकरण निरस्त किया जाता है।
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