इंदौर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग वन सेवा एवं राज्य सेवा के लिए प्रारंभिक भर्ती परीक्षा का आयोजन आज कर रहा है। दो सत्र में होने वाली इस परीक्षा के लिए अकेले इंदौर शहर में 33,900 से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं। सुबह-सुबह अधिकारी बनने का सपना लिए बड़ी संख्या में शहरभर में 88 परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थी सुबह-सुबह पहुंचना शुरू हो गए थे। नीट पर्चा लीक कांड अभी देशभर में गूंज रहा है। इसी बीच एमपीपीएससी की आज हो रही परीक्षा से एक दिन पहले डमी प्रश्न पत्र अभ्यर्थियों के हाथ आया और इसकी शिकायत की गई कि कहीं यह पर्चा तो लीक नहीं हो गया। आयोग की ओर से जांच की गई, जिसमें पता चला कि यह बच्चों को प्रारंभिक तैयारी के लिए किसी निजी कोचिंग संस्थान द्वारा जारी किया गया डमी प्रश्न पत्र था। रविवार सुबह इंदौर शहर में यूनिवर्सिटी कैंपस, आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज, गुजराती कॉलेज आदि 88 स्कूल-कॉलेजों में सुबह 8 बजे से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का पहुंचना शुरू हो गया था। शहर से दूर स्कूल-कॉलेज में जहां परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, वहां पहुंचने में अभ्यर्थियों को मशक्कत करते देखा गया। अकेले इंदौर शहर में 33,973 अभ्यर्थियों के प्रारंभिक परीक्षा देने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। सुबह 10 से 12 और दोपहर 2.15 से 4.15 बजे तक दो सत्रों में हो रही इस परीक्षा के लिए केंद्रों पर 2 घंटे पहले ही अभ्यर्थी पहुंचना शुरू हो गए थे।
पर्चा लीक के बाद प्रवेश से पहले और ज्यादा सख्ती, उतरना पड़े जूते
एमपीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में पर्चा लीक कांड के बीच आज सख्ती ज्यादा रही, सुबह 9 बजे से परीक्षा के केंद्रों में अभ्यर्थियों को प्रवेश मिलना शुरू हो गया था। हाफ आस्तीन की शर्ट में ज्यादातर अभ्यर्थी नजर आए, वहीं महिला अभ्यर्थियों को बालों में लगाने वाले अनावश्यक क्लेचर, बक्कल, क्लिप को भी उतारना पड़ा। जूते-मौजे उतारकर प्रवेश मिला। सख्त जांच की गई। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ घड़ी आदि उपकरण भी बाहर ही रखवाए गए। परीक्षा प्रभारी संजय सराफ ने बताया कि आज हो रही परीक्षा के लिए शहर में बने 88 परीक्षा केंद्रों पर इतनी संख्या में ऑब्जर्वर और उडऩदस्ते भी नजर बनाए हुए हैं।
परीक्षा केंद्र के बाहर अभिभावक
आज हो रही परीक्षा में कुछ अभ्यर्थियों अभिभावक या साथी परीक्षा केंद्र के बाहर परीक्षा खत्म होने तक इंतजार करते देखे गए। बारिश की हल्की बूंदाबांदी और खाने-पीने की वास्तु टटोलते यह लोग कभी चिंता में तो कभी स्कूल कॉलेज के मुख्य द्वार की ओर अपनों के आने का इंतजार में नजरें लड़ाए बैठे थे।
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