– केन्द्रीय दल ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात, प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों के भ्रमण के बाद दिया ब्योरा, कहा- शीघ्र सौंपा जाएगा प्रतिवेदन
– केन्द्रीय दल ने की मप्र की तारीफ, कहा-राज्य शासन और स्थानीय प्रशासन ने बाढ़ के बाद किया मुस्तैदी से कार्य
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बाढ़ से प्रभावित हुए जिलों (Districts affected by floods) में प्रभावित हुई अधोसंरचना को फिर से जैसे का तैसा बल्कि उससे बेहतर बनाने का प्रयास है। श्योपुर जिले का एक तिहाई क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुआ, वहां विशेष फोकस कर कार्यों को पूरा किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावितों को ज्यादा से ज्यादा मदद मिले, इसके लिए विभिन्न योजनाओं के प्रावधानों में राहतकारी संशोधनों के प्रयास भी किए गए हैं। आवास योजनाओं में मध्यप्रदेश के कोटे के आवास गृह की संख्या बढ़ाने का भी प्रयास है। इसके लिए शीघ्र ही केन्द्रीय मंत्रियों से आग्रह कर यह कार्य सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने यह बातें मंगलवार शाम को केंद्रीय दल के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी उपस्थित रहे। छह सदस्यीय केन्द्रीय दल में गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुनील कुमार वर्णवाल, वित्त मंत्रालय के उप आर्थिक सलाहकार अभय कुमार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के डीपीडी डायरेक्टर एके तिवारी, नर्मदा घाटी संगठन जल शक्ति मंत्रालय के अधीक्षण अभियंता मनोज तिवारी, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के आरओ डीके शर्मा तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंडर सेक्रेट्री आर.के. श्रीवास्तव शामिल थे।
केन्द्रीय दल ने मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुलाकात की। इस दौरान दल ने बताया कि उन्होंने 16 एवं 17 अगस्त को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण किया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राज्य शासन और स्थानीय प्रशासन ने मुस्तैदी से कार्य किया है। विभिन्न नागरिकों से चर्चा में भी यह बात सामने आई।
केंद्रीय दल ने बताया कि दो समूह में दल के सदस्यों ने तीन-तीन जिलों में भ्रमण कर स्थितियों का जायजा लिया। प्रथम दल के तीन सदस्य ग्वालियर, दतिया और शिवपुरी और द्वितीय दल के तीन सदस्य श्योपुर और मुरैना क्षेत्र के भ्रमण के बाद क्षति का अवलोकन कर चुके हैं। दल ने बताया कि इन क्षेत्रों में काफी क्षति हुई है। इस संबंध में शीघ्र ही वास्तविक क्षति का प्रतिवेदन तैयार कर लिया जाएगा। श्योपुर सबसे अधिक प्रभावित रहा, लेकिन यह सुखद तथ्य है कि यहां कोई ऐसा रोग देखने को नहीं मिला है जो ज्यादा बाढ़ की स्थिति के पश्चात देखने को मिलता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने दल को बताया कि ग्वालियर और इंदौर नगर निगम से जेसीबी मशीन और अन्य उपकरण भेजकर युद्ध स्तर पर श्योपुर में आवश्यक कार्य सम्पन्न किए गए। केन्द्रीय दल ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी एक पृथक बैठक में चर्चा की। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री और राजस्व विभाग मनीष रस्तोगी ने बताया कि प्रभावित जिलों में फाइनल सर्वे प्रगति पर है। प्रमुख सचिव ने प्रदेश में अतिवर्षा और कम वर्षा से प्रभावित जिलों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय सरकार ने राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के अवलोकन के लिए तत्परता से दल भेजने का कार्य किया है। उन्होंने दल के सदस्यों का स्वागत करते हुए प्रदेश के भ्रमण के लिए बिना विलंब आने के लिए धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभावित जिलों में जनहानि नहीं होने दी गई। जो क्षति हुई है उसमें मुख्य रूप से किसान जो फसल बेचने के लिए सुरक्षित रख लेते हैं कि बाजार में कीमत ज्यादा मिलने पर उसे बेचेंगे, वह अब पशुओं के खाने योग्य ही रह गई है। कुछ दुकानों की भी ऐसी क्षति हुई है जो राजस्व पुस्तक परिपत्र की परिधि में नहीं है लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से मदद दी जाना चाहिए। इसके साथ ही खेतों में जमा सिल्ट और विशेष रूप से नदियों-नालों के किनारे रहने वाले लोगों के कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन्हें अधिकतम सहायता के लिए अनुशंसा का प्रतिवेदन में ध्यान में रखने की अपेक्षा है।
चौहान ने कहा कि श्योपुर में 48 घंटे में 800 मिलीमीटर वर्षा की कल्पना किसी ने नहीं की थी। स्कूल, आंगनवाड़ी भवन, स्वास्थ्य केन्द्र सहित शासकीय भवनों की क्षति तो हुई ही है, कृषि क्षेत्र भी प्रभावित हुआ। अत्यंत गरीब वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित हैं। प्रारंभिक तौर पर मकान की क्षति पर 6 हजार रुपये की राशि प्रभावित परिवार को देने के आदेश दिए गए हैं। राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार मवेशियों की जान जाने पर भी निर्धारित सहायता राशि प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू ऑपरेशन का विवरण देते हुए बताया कि 32 हजार से अधिक लोगों को ऊंचे स्थानों पर लाकर ठहराया गया। ड्रोन सहित अनेक सूचना प्रौद्योगिकी साधनों का उपयोग कर राहत कार्य संचालित किए गए। टापूओं और पेड़ों पर फंसे करीब 09 हजार लोगों को निकाला गया। राज्य शासन ने टास्क फोर्स का गठन कर 12 मंत्रियों को विशेष दायित्व सौंपे। हर दूसरे-तीसरे दिन टास्क फोर्स की बैठक में राहत कार्यों की समीक्षा भी की जाती है।
प्रधानमंत्री सहित केन्द्रीय मंत्रियों का सहयोग मिला
मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय दल को बताया कि राज्य शासन ने अपने समस्त संसाधनों का उपयोग कर लोगों की जान बचाने का काम प्राथमिकता से किया। यह कर्मकाण्ड नहीं था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय रक्षा, गृह और कृषि मंत्रियों से संवाद होता रहा। उनका सहयोग भी प्राप्त हुआ। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ सेना ने भी राहत कार्यों में पूरी मदद की। क्षति के आंकलन के लिए राजस्व, कृषि और पंचायत विभागों का संयुक्त दल कार्य कर रहा है। पारदर्शिता के साथ प्रभावितों की सूची तैयार की जाएगी। इसे पंचायत भवन में प्रदर्शित किया जाएगा। कोरोना काल में सक्रिय रहीं क्राइसिस मैनेजमेंट समितियों को भी जिम्मेदारी दी गई है।
केन्द्रीय दल ने दिया भ्रमण के बाद विवरण
केंद्रीय दल ने दो दिन किए गए भ्रमण के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। केंद्रीय दल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से कहा कि बाढ़ प्रभावित जिलों में स्थानीय प्रशासन ने राहत के कार्यों को सुचारु ढंग से संपादित किया। इसके साथ ही राज्य शासन के निर्देशों, तत्काल उठाए गए कदमों और मंत्री गण के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में मौजूद रहकर राहत कार्यों के अवलोकन और प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किए गए बचाव और राहत के प्रयासों से भी लोगों को मदद मिली।
केंद्रीय दल ने 16 और 17 अगस्त को ग्वालियर चंबल संभाग के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे में ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के अंतर्गत चांदपुर और भितरवार तहसील के ग्राम सिल्हा, परायछा का निरीक्षण किया गया। दल ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आंगनवाड़ी केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकानों का निरीक्षण किया। सिंध नदी के क्षतिग्रस्त पुल देखने के बाद दल ने फसलों की क्षति का भी निरीक्षण किया। केंद्रीय दल ने दतिया जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 44 पर सिंध नदी पर बने पुल के नुकसान का जायजा लिया। ग्राम कोटरा में रिहायशी मकानों स्थानीय विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को हुई क्षति, स्कूल व आंगनवाड़ी भवन ग्राम तक पहुंचने वाले मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क की क्षति का अवलोकन किया। केंद्रीय दल ने ग्राम सुनारी ग्राम पाली में बाढ़ की विभीषिका का जायजा किया। टीम ने ग्राम पाली में फंसे 42 लोगों को मिलिट्री और एयरपोर्ट की सहायता से चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी भी ली और ग्राम सुनारी के राहत कैंपों का जायजा लिया। केंद्रीय दल ने शिवपुरी जिले की तहसील नरवर में क्षति का जायजा लिया।
केंद्रीय दल क्रमांक 2 ने श्योपुर और मुरैना जिलों का दौरा किया। केंद्रीय दल मुरैना जिले के तहसील कैलारस में दो-तीन-चार अगस्त को हुई अति वर्षा से क्वारी नदी में आई बाढ़ के कारण ने नेपरी पुल के पहुंच मार्ग का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत मुरैना जिले में सबलगढ़ से टेंटरा की लंबाई 15 किलोमीटर है। भारी वर्षा के कारण इस मार्ग का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था, जिसका निरीक्षण दल ने किया। दल ने श्योपुर जिले के ग्राम श्यामपुर तहसील वीरपुर के नजदीक बनाए गए तालाब के फूटने से प्रभावित फसल क्षति का निरीक्षण किया। केंद्रीय दल ने ग्राम ओछापुरा में स्टेट टाइम में निर्मित तालाब के क्षतिग्रस्त हिस्से का अवलोकन किया। दल ने श्योपुर जिले में 2-3 अगस्त को अत्यधिक वर्षा से तालाब के निकट निकली छोटी लाइन के नुकसान का भी जायजा लिया। साथ ही क्षेत्र की फसल क्षति का निरीक्षण किया।
केंद्रीय दल ने ग्राम काशीपुर बड़ी चंबल नहर के पास सरारी नहर की दीवार टूटने का निरीक्षण किया। चंबल नहर में लगभग 70 स्थान क्षतिग्रस्त हुए हैं। सीप नदी व टहला ग्राम के पुल और पावर हाउस भी क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनका निरीक्षण दल ने किया। ग्राम कोटरा के निरीक्षण के दौरान पूर्णतः क्षतिग्रस्त मकानों, ग्राम वासियों के कपड़े बर्तन खाद्यान्नों की हुई क्षति का अवलोकन किया गया। दल मेवाड़ा बहरावद होते हुए मानपुर गया। रास्ते में सड़क के किनारे रखा सैकड़ों क्विंटल गेंहू और चना जो बाढ़ से गीला हो गया था उसका अवलोकन किया। शहरी क्षेत्र श्योपुर का भी निरीक्षण केंद्रीय दल ने किया। (एजेंसी, हि.स.)
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