भोपाल। भाजपा देश की एक मात्र राजनीतिक पार्टी है जो हमेश मिशन मोड में रहती है। वहीं पार्टी के लिए मप्र प्रयोग भूमि है। ऐसे में पार्टी के रणनीतिकार मप्र को भाजपा की राजनीति का मॉडल स्टेट बनाना चाहते हैं। इसके लिए प्रदेश संगठन में कसावट लाने की कवायद चल रही है। इसके लिए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने हर स्तर से फीडबैक लिया है। इस फीडबैक के आधार पर आगामी रणनीति बनाकर संगठन में कसावट लाई जाएगी।
गौरतलब है कि मिशन 2023 के मद्देनजर इनदिनों संघ और भाजपा का फोकस मप्र पर है। हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली भाजपा ने विधानसभा की तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए सबसे पहले संगठन में और कसावट लाई जाएगी और जहां जरूरी होगा वहां परिवर्तन भी किया जाएगा। इसमें कई मोर्चा, प्रकोष्ठों से लेकर जिलों में बदलाव तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है की क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल का मप्र दौरा इसी उद्देश्य के तहत है। गौरतलब है कि जामवाल की रिपोर्ट पर ही छत्तीसगढ़ संगठन में बड़ा बदलाव किया गया है। अब मप्र संगठन में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
परफार्मेन्स के आधार पर फेरबदल
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के रणनीतिकारों ने परफार्मेंस के आधार पर संगठन में फेरबदल करने की रणनीति बनाई है। बताया जाता है कि इसके लिए जामवाल ने सीएम और संगठन नेताओं के साथ प्रदेश भाजपा कार्यालय में करीब दो घंटे से अधिक समय तक मंत्रणा की थी। संगठन परफार्मेन्स के आधार पर इनमें जल्द बदलाव करेगा। इसके अलावा जिन जिलों में नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा और जहां पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के दौरान जिला अध्यक्षों का काम संतोषजनक नहीं पाया गया उन जिलों के अध्यक्षों का बदलना भी तय माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो 15 अगस्त के बाद करीब डेढ़ दर्जन जिलों के अध्यक्षों पर गाज गिरना तय हैं। इनमें ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े जिले भी शामिल हैं।
मंत्रिमंडल में समीकरण साधने की कवायद
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अब क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कवायद भी पूरी करेगी। मंत्रिमंडल में भी 4 स्थान खाली पड़े हैं इनके लिए भी पार्टी में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। प्रदेश में सत्ता-संगठन के नेताओं ने मिशन 2023 को लेकर जमीनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान संगठन की जो कमियां रह गई थीं उन पर अभी से फोकस किया गया है। खासतौर पर आदिवासी बहुल सीटों के लिए भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। नवंबर 2021 में आदिवासी बहुल जोबट विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक कर पार्टी की प्रत्याशी सुलोचना रावत को जिताकर लाई थी। जोबट को कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण सुलोचना ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उस समय सत्ता-संगठन की ओर से उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन भी दिया गया था। इसलिए लगभग 12 मंत्री, केंद्रीय मंत्री ऐसा माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सुलोचना के अलावा अन्य क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने के प्रयास किए जाएंगे। शिवराज मंत्रिमंडल में अभी 4 पद खाली हैं। प्रदेश में सियासी उथल पुथल के बाद उन्होंने 23 मार्च 2020 को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 5 मंत्रियों के साथ उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार 21 अप्रैल 2020 को किया। इसके बाद 2 जुलाई को मंत्रिमंडल में 28 सदस्यों को और शपथ दिलाई गई। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक थे। उपचुनाव के बाद कैबिनेट में दो मंत्रियों तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को 3 जनवरी 2021 को पुन: शपथ दिलाई गई जबकि इमरती देवी, ऐदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया उपचुनाव हारने के कारण मंत्रिमंडल से बाहर हो गए। मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी शीर्ष नेता सीएम के साथ विचार करेंगे। माना जा रहा है कि जल्द ही शिवराज कैबिनेट में दो से तीन मंत्रियों को और बढ़ाया जाएगा। वहीं चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी मंत्री को बाहर करने की संभावना फिलहाल नहीं है।
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