भोपाल । भारतीय परम्परा में गाय के दूध को अमृत (In Indian tradition, cow’s milk is called nectar.) बताया गया है। क्योंकि इसमें इतने पौष्टिक पदार्थ हैं जिनसे मानव शरीर की तमाम बीमारियों का इलाज संभव है। गाय (cow mikl) के दूध में आमेगा-3 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कई रोगों की रामबाण औषधियां तैयार की जाती हैं। इसलिए मनुष्य के स्वस्थ्य जीवन के लिए गाय का दूध कितना गुणकारी है, इसके आज अनेक वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं, लेकिन इसके साथ जो सबसे जरूरी है वह है इसकी पर्याप्त उपलब्धता । वैसे अब तक देखने में यही आया है कि गाय का दूध जो मिलता भी है वह बहुत सीमित मात्रा में है, ऐसे में यह बहुत लोगों की आवश्यकता होने के बाद भी इसकी पूर्ति नहीं हो पाती है। अब इस पूर्ति के साथ इसकी गुणवत्ता भी बने रहे, इसके लिए इन दिनों वैज्ञानिक बड़े शोध कर रहे हैं। इन्हीं में से एक प्रयोग मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित देश की दूसरी सबसे बड़ी अत्यधुनिक सेक्स सॉर्टेड सीमन प्रोडक्शन प्रयोगशाला सफलता से पूरा हुआ है।
दुग्ध क्रांति के क्षेत्र में यह बड़ी सफलता है
यहां गिर प्रजाति की गाय थारपारकर बछड़े को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से जन्म देने में सफल हुई हैं। कहना होगा कि यह दुग्ध क्रांति के क्षेत्र में यह बड़ी सफलता है। स्वस्थ और उच्च स्तरीय थारपारकर बछड़े के बड़े होने के बाद प्रदेश में इस नस्ल की बछियों की प्रचुर संख्या बढ़ाई जा सकेगी।
थारपारकर नस्ल की ये है विशेषता
मूलत: राजस्थान की थारपारकर नस्ल की गाय कम खर्च में सर्वाधिक दुग्ध देती हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत अच्छी होती है। यह गाय सूखे और चारे की कमी की स्थिति में भी छोटे जंगली वनस्पति पर निर्वहन कर लेती है किन्तु संतुलित आहार व्यवस्था से इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता अधिक बढ़ जाती है। थारपारकर नस्लीय गौ-वंश की पशुपालन और डेयरी संस्थानों में काफी माँग बनी रहती है।
‘बुल मदर फार्म’ में हो रहा पशु नस्ल सुधार का बड़ा कार्य
इस संबंध में मध्य प्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास के प्रबंध संचालक डॉ. हरिभान सिंह भदौरिया बताते हैं कि भोपाल स्थित ‘बुल मदर फार्म’ में भ्रूण प्रतिरोपण तकनीक के जरिये गोपालन हेतु उन्नत नस्ल के पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से पालन तथा प्रबंधन करने का कार्य किया जा रहा है। मध्यप्रदेश राज्य पशुधन और कुक्कुट विकास निगम द्वारा संचालित ‘बुल मदर फार्म’ में देशी गायों की नस्ल सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे हैं। भोपाल प्रयोगशाला का उद्देश्य देश की परंपरागत उच्च गौ-वंश नस्लों का संरक्षण करते हुए संवर्धन करना है। प्रयोगशाला में वितरण के लिये 20 हजार से अधिक फ्रोजन सीमन स्ट्रॉ तैयार किये जा चुके हैं।
सेक्स सॉर्टेड सीमन प्रोडक्शन प्रयोगशाला में हो रहे नए-नए प्रयोग
डॉ. भदौरिया ने बताया कि सेक्स सॉर्टेड सीमन प्रोडक्शन प्रयोगशाला में नवीन तकनीक के तहत हम नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें कि नस्ल सुधार कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके । वे कहते हैं क यहां पर 14 नस्लों का सीमन उत्पादन करते हैं जो कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आवश्यकतानुसार भेज दिया जाता है। गाय की नस्ल सुधार के लिए यहां जो सीमन का उत्पादन होता है उससे 90 प्रतिशत बछियाएं पैदा होंगी । वे कहते हैं, आज दुग्ध उत्पादन के लिए मादा वर्ग की आवश्यकता है, उसकी इस वैज्ञानिक तकनीक के उपयोग से पर्याप्त पूर्ति होगी। इससे दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों में आगे आ जाएगा और दुधारू पशुओं की संख्या में वृद्धि होने से अभी जो निराश्रित गायों को छोड़ देने की आदत है, उसमें भी कमी आएगी । डॉ. भदौरिया कहते हैं कि दुग्ध उत्पादन अच्छा हुआ तो हर कोई गाय को अपने यहां पालना चाहेगा ।
ये है गाय के दूध की खासियत
वर्तमान वैज्ञानिक मतानुसार गौ दुग्ध में आठ प्रकार के प्रोटीन, इक्कीस प्रकार के एमीनो एसिड, ग्यारह प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, छह प्रकार के विटामिन, पच्चीस प्रकार के खनिज तत्व, आठ प्रकार के किण्वन, दो प्रकार की शर्करा, चार प्रकार के फाॅस्फोरस यौगिक और उन्नीस प्रकार के नाइट्रोजन होते हैं। विटामिन ए-1, केरोटिन डी-ई, टोकोकेराल, विटामिन बी-1, बी-2, रिवोफलेविन बी-3, बी-4 तथा विटामिन सी है। खनिजों में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह तत्व, ताम्बा, आयोडिन, मैगनीज, क्लोरीन, सिलिकॉन मिले हुए हैं। एमिनो एसिड में लाइसिन, ट्रिप्टोफेन और हिक्वीटाइन प्रमुख हैं।
तेजी से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है गाय का दूध
दूध में जो कार्बोहाइड्रेट हैं उसमें लैक्टोस प्रमुख है जो पाचन तन्त्र को व्यवस्थित रखता है। लैक्टेज इत्यादि एन्जाइम, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई और लैक्ट्रोकोम, क्रियेटिन, यूरिया, क्लोरीन, फॉस्फेट, केसिनो मिश्रण इत्यादि मिलकर 100 से भी ज्यादा विशेष पदार्थ हैं। आधुनिक मतानुसार गौदुग्ध में विटामिन ए व कैरोटिन नामक पीला पदार्थ पाया जाता है जोकि अन्य दूध में नही है। यह रोग-प्रतिरोधक है जो आँख का तेज बढ़ाता है और बुद्धि को सतर्क रखता है। गाय का दूध पीले रंग का है जोकि सोने जैसे गुण परिलक्षित करता है।
यह 21 मुख्य पदार्थ भी पाए जाते हैं गाय के दूध में
वैज्ञानिकों के अनुसार गौदुग्ध में 4.9 प्रतिशत शर्करा, 3.7 प्रतिशत घी व 11 प्रतिशत नाना प्रकार के एसिड हैं। 3.6 प्रतिशत प्रोटीन है जिसमें ल्युसन, ग्लूकेटिक एसिड, टिरोसीन, अमानिया, फॉस्फोरस आदि 21 पदार्थ सम्मिलित हैं। 7.5 प्रतिशत पौटेशियम सोडियम इत्यादि ऐसे 17 रसायन हैं। इसमें पानी 87.3 प्रतिशत, वसा 4 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 4 प्रतिशत, ऊर्जा कैलोरी 6.5 प्रतिशत है। गाय के दूध में विटामिन ए-100 इन्टरनेशनल यूनिट, जो गरम कर मावा बनने पर 400 इन्टरनेशनल यूनिट हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत तीन अप्रैल को भोपाल में इस अत्यधुनिक सेक्स सॉर्टेड सीमन प्रोडक्शन प्रयोगशाला का शुभारंभ किया था। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 47 करोड़ 50 लाख रूपये की लागत से स्थापित होने वाली प्रयोगशाला की लागत में 60 प्रतिशत केन्द्रांश और 40 प्रतिशत राज्यांश शामिल है। निकट भविष्य में प्रयोगशाला में गिर, साहीवाल, थारपारकर गाय और मुर्रा भैंस आदि उच्च अनुवांशिक गुणवत्ता की 90 प्रतिशत बछिया ही उत्पन्न की जाएंगी। बछियों की संख्या अधिक होने से दुग्ध उत्पादन में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी होगी और किसानों-पशुपालकों को बेहतर आमदनी होगी।