इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार (madhya pradesh government) द्वारा प्रदेश के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तहत चलाई गई योजना अब प्रदेशभर में लागू की जा चुकी है और साइबर तहसील (Cyber Tehsil) के 2.0 वर्जन को चालू कर दिया गया है, जिसके तहत पटवारी (Patwari) हो या तहसीलदार (Tehsildar) 10 दिनों के अंदर नामांतरण तो करना ही होगा। साथ ही बंटांकन और नक्शा तरमीम भी करके 10 दिन में ही देना होगी। किसानों को भटकाना अब कड़ी कार्रवाई के दायरे में आएगा।
नई साइबर तहसील व्यवस्था आज से जमीनी तौर पर काम करने लगेगी। प्रदेश सरकार ने तहसीलदारों को साइबर तहसील के नियम-कानून बताकर सख्त निर्देश दिए हैं कि 10 दिन के अंदर नामांतरण की प्रक्रिया पूरी करने के साथ-साथ बंटांकन और नक्शा तरमीम भी करके देना होगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पद की शपथ लेते ही इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया था। उन्होंने लोगों को सुविधा देते हुए रजिस्ट्री होते ही पूरे रकबे का एक साथ नामांतरण बगैर किसी तहसील के चक्कर काटे उपलब्ध कराने की सुविधा को अमलीजामा पहनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। योजना को लेकर कल सभी तहसीलदारों को प्रशिक्षण भी दिया गया।
अब चलेगा कार्रवाई का डंडा
10 दिनों में ही नामांतरण के साथ-साथ बंटांकन कर नक्शे में भी चढ़ाकर देना होगा, जिसके लिए अलग से कोई आवेदन नहीं किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार पटवारी को 10 दिन में अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन ही प्रस्तुत करना होगी। समयावधि में रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने पर पटवारी के विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकता है। पटवारी रिपोर्ट दर्ज होते ही तहसीलदार नामांतरण का आदेश जारी करेंगे और पटवारी उस पर अमल करते हुए खसरे में संबंधित व्यक्ति का नाम चढ़ाएंगे। पटवारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ ही संबंधित रकबे का बंटांकन और तरमीम किया हुआ नक्शा भी प्रस्तुत करेंगे, जिसके अनुसार नक्शे में भी बंटांकन-नामांतरण के साथ ही हो जाएगा।
बड़ी व्यवस्था… मृत्यु होते ही डेथ सर्टिफिकेट की जानकारी पोर्टल पर मिलेगी और वारिसों के नाम चढ़ सकेंगे
संपूर्ण सुधार के साथ शुरू किए गए इस सॉफ्टवेयर में एक नई व्यवस्था भी जोड़ी जा सकती है, जिससे मृत्यु पंजीकरण विभाग की जानकारी को आरसीएमएस पोर्टल से कनेक्ट किया जाएगा, ताकि किसी भी किसान या जमीन मालिक की मौत होने पर उसकी जानकारी सीधे राजस्व विभाग को मिल सकेगी और उसके वारिसों के नाम से किए जाने वाले नामांतरण के लिए तहसील के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे। प्रस्तावित योजना के अनुसार किसी भी खातेदार की मृत्यु होने पर ऑनलाइन जारी होने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र, जिसमें संबंधित का आधार क्रमांक भी पंजीकृत होता है, उसे जांचते हुए वेबसाइट तहसीलदार की आईडी पर नामांतरण के लिए स्वत: भेज देगी। पटवारी उक्त आवेदन के निराकरण के लिए अपनी रिपोर्ट में संबंधित किसान के वैध बारिशों की जानकारी देगा, जिसके आधार पर नामांतरण आसानी से हो जाएगा और सभी वारिसों के नाम खातें में दर्ज किया जा सकेंगे।
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