उज्जैन। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) में होने वाली भस्म आरती (Bhasma Aarti) के दौरान प्रतिदिन भगवान वीरभद्र (Lord Veerbhadra) जी से आज्ञा लेने के बाद सभा मंडप स्थित चांदी द्वार खोला जाता है और उसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह तक पहुंचते हैं। जहां बने चांदी द्वार को भी पूजन अर्चन के बाद खोला जाता है। जिसके बाद मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक होता है और फिर कपूर आरती के बाद नंदी हॉल मे श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है।
जिसके बाद भस्म आरती की शुरुआत होती है, लेकिन रविवार की सुबह मंदिर में यह परंपरा टूट गई पुजारी और पुरोहितगण प्रतिदिन की तरह भगवान महाकाल की भस्मारती करने के लिए भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर गर्भगृह की और पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गर्भगृह के पट खुलने के पहले ही नंदी हॉल में श्रद्धालु बैठे हुए थे। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई और इस परंपरा को तोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली।
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