नई दिल्ली (New Dehli) । बाघों (tigers)के लिए मशहूर एमपी के उमरिया (Umaria)जिले का बांधवगढ़ (Bandhavgarh)टाइगर रिजर्व इन दिनों उनके आतंक (terror)को लेकर सुर्खियों में है. आंकड़े (figures)पर नजर मारें तो बीते 10 महीने में बाघ ने यहां 12 लोगों को मौत दी है, जबकि 50 से अधिक लोग बाघ के जबड़े से आहत हो चुके है. ताजा घटनाक्रम मानपुर और पतौर रेंज का है. यहां सुबह से लेकर शाम तक बाघ की दहशत से कोहराम मचा रहा. सुबह मानपुर बफर के मचखेता बीट में मवेशी चराने गए चरवाहा राममिलन चौधरी को उसके दो मवेशियों के साथ बाघ ने शिकार बना लिया. इससे गांव में मातम पसरा रहा. वहीं, शाम को पतौर रेंज के कसेरु गांव में डेरा जमाए बाघ के एक युवक को निशाने पर ले लिया. गनीमत रही कि युवक की जान बच गई. इससे पूरे इलाके में दहशत फैल गई.
गौरतलब है कि बाघ ने मानपुर बफर के मचखेता इलाके में जिस राममिलन चौधरी को शिकार बनाया, उसकी पत्नी सुंदी चौधरी भी साल 2011 बाघ के हमले में मारी गई थी. वह तेंदूपत्ता तोड़ने गई थी और उस पर बाघ ने हमला कर दिया था. बता दें, जिस पतौर रेंज के कसेरू गांव में बाघ ने डेरा जमाया है, वहां से चंद कदम दूरी पर बमेरा गांव है. यहां पिछले महीने ही बाघ ने एक घर में घुसकर किसान कम्मा यादव को मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि ये सभी बाघ अलग-अलग हैं.
क्षेत्र में दस से बारह बाघ सक्रिय
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफर के रेंजर मुकेश अहिरवार ने बताया कि इस समय क्षेत्र में दस से बारह बाघ सक्रिय हैं. इनसे खतरा बना हुआ है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बाघों का रिहायशी इलाकों में रुख करना निश्चित तौर पर चिंता जनक है. लेकिन, बांधवगढ़ के सीमित क्षेत्र में बाघों की बढ़ी हुई तादात को रोक पाना भी संभव नही है. लिहाजा बाघों के द्वारा लगातार हो रहे हमले से इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है.
बांधवगढ़ में बाघों की संख्या 200 से ज्यादा
आंकड़े बताते है कि मौजूदा समय में बांधवगढ़ में बाघों की संख्या 200 पार है. ऐसे में बाघों के लिहाज से बांधवगढ़ का क्षेत्र उतना नही है कि हर बाघ अपना साम्राज्य स्थापित कर सके. मतलब साफ है यदि बाघ और मानव द्वंद की स्थित को रोकना है तो जंगल का क्षेत्रफल बढ़ाना पड़ेगा या फिर बाघों को किसी दूसरे टाईगर रिजर्व में शिफ्ट करना होगा.
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