सतना: मध्यप्रदेश के सतना जिले (Satna district Farmers) के आठ पंचायतों के किसानों (farmers of eight panchayats) को आने वाले दिनों में सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी को लेकर काफी चिंता हो गई है. दरअसल किसानों का कहना है कि उचेहरा तहसील में स्थित कुलगढ़ी डैम का जल स्तर खत्म (Kulgarhi Dam Satna) होने के कागार पर है. जिसको लेकर किसान परेशान (Farmer upset) है. उनका कहना है कि बांध का मुख्य गेट कुछ दिन पहले खोला गया था लेकिन अभी तक बंद नहीं किया गया है. ऐसे में रबी की फसल के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा जो चिंता का विषय है.
सतना जिले में कुलीगढ़ी बांध का निर्माण साल 1967 में किया गया था. जिसके द्वारा बहुत लोगों को पानी मिलता है. किसानों का कहना है कि बारिश के समय बांध लबालब भरा था. लेकिन नवबंर माह में रबी की फसल के लिए पानी छोड़ा गया था सिंचाई हो जाने के बाद भी पानी बांध से बह रहा है. बता दें कि हर साल नवबंर महीने में 21 दिनों के अंतराल में 4-4 दिनों के लिए पानी छोड़ा जाता है. पर इस बार पानी छोड़े जाने का बाद भी गेट खुला है. गेट में तकनीकी खराबी आ गई है जिसकी वजह से गेट खुला है और पानी बह रहा है उस पानी को किसानों के नुकसान को देखते हुए सतना नदी में छोड़ा जा रहा है.
कुलगढ़ी बांध से लगातार बह रहे पानी की वजह से अब डैम में केवल 4 मीटर ही पानी बचा हुआ है. बता दें कि बांध में 8,49 घन मीटर पानी भरा था और हर बार गेंहू की फसल के लिए चार बार डैम खोला जाता था. लेकिन बहते हुए पानी ने किसानों की चिंताएं बढ़ाई हुई है और किसानों को फसल सूखने का भी डर सता रहा है. सतना जिले के किसानों ने लगातार बह रहे पानी को लेकर जल संसाधन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है. किसानों का कहना है कि इस बांध से हर वर्ष 1214 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई होती थी और किसानों की गेहूं की फसल को 21 दिनों के अंतराल में चार बार पानी मिलता था लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि पानी ज्यादा बह गया है.
अगर गेट की जल्द मरम्मत नहीं होती है तो किसानों की मेहनत और सपने चकनाचूर हो जाएंगे और किसान भूखमरी का शिकार हो जाएंगे. इसके अलावा किसानों ने विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि जल संसाधन विभाग इस मामले में सिर्फ पत्राचार कर रहा है. पर मुख्य कार्यपालन यंत्री की माने तो तकनीकी अमले को सूचना दी गई है और पत्र लिखा गया है. साथ ही साथ आपको बता दें कि किसानों का कहना है कि जल्द से जल्द सुधार किया जाए ताकि किसानों की मेहनत खराब न हो.
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