मालवा। पूरा भारत(India) कोरोना(Corona) महामारी(Pandemic) से जूझ रहा है. हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. हॉस्पिटल में बेड नहीं (No Hospital Bed) हैं तो वहीं ऑक्सीजन की किल्लत (Oxygen crisis) से लोग परेशान हो रहे हैं. कोरोना के बढ़ते इस संक्रमण के बीच एक खास खबर सामने आई है जो काफी खास है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के आगर-मालवा(Agar Malwa) में आम लोगों की जागरूकता के चलते पूरे गांव में कोई भी कोरोना संक्रमित(Village Corona Free) नहीं हुआ.
कोरोना(Corona) ने 2020 में भारत(India) ही नहीं बल्कि दुनियाभर में तेजी से अपना प्रभाव दिखाया था. कई देशों में लॉकडाउन लगा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. मगर अब कुछ राहत के बाद कोरोना की दूसरी लहर काल बनकर आई है. ऐसे में देश भर की व्यवस्थाएं चरमराई हुई है. ऐसे में आम लोगों को जागरूक होना अति आवश्यक है. आगर मालवा में आधा दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं जो जागरूकता की अहमियत की गवाही दे रहे हैं.
आगर-मालवा के लोगों की जागरूकता का ही परिणाम है कि कोरोना के पहले दिन से लेकर आजतक इन गावों में कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं हुआ. इसके पीछे गांव के लोगों का द्रण संकल्प और इच्छा शक्ति ही है कि ग्रामीणों ने मिलकर गांव को सुरक्षित रखा. गांव की महिलाओं ने अपने-अपने घरों के सामने सैनिटाइजर, पानी की बाल्टियां और साबुन रखे हुए हैं. अगर परिवार का कोई भी व्यक्ति गांव में आता है या अपने खेत-खलियान से आता है तो पहले घर के बाहर रखे साबुन से अपने हाथ और पैरों को धोता है. उसके बाद ही घर में प्रवेश करता है. इस काम में महिलाएं बखूबी जिम्मेदारी निभा रही हैं. दूसरे गांव में भी ऐसी ही तस्वीर देखने मिली है. गांव के अंदर की गई व्यवस्थाओं को देख हर कोई तारीफ कर रहा है. यही नहीं गांव के युवाओं ने अपनी एक टोली बनाई हुई है और उस टीम का काम है कि जो भी व्यक्ति इनके गांव में प्रवेश कर रहा है, चाहें वह उनके गांव का हो क्यों ना हो, उन लोगों की पहले पड़ताल की जाती है. पहले देखा जाता है कि जो व्यक्ति गांव में प्रवेश कर रहा है उसकी तबियत कैसी है. वह कहां से आ रहा है? किनसे मिलकर आ रहा है. यह सब जांच के बाद उसके हाथों को सैनेटाइज करवाया जाता है और फिर उसे गांव के अंदर प्रवेश मिलता है. कोई बाहरी व्यक्ति गांव में प्रवेश ना कर सके इसके लिए गांव की सड़क पर बैरिगेट्स लगा दिए गए है जहां युवा ड्यूटी देते हैं. गांव में बनी टीम में से दो-दो युवा चार-चार घंटे की ड्यूटी देते हैं और गांव की रक्षा करते हैं. सीओडी एस रणदा का कहना है कि ग्रामीणों की इस तरह की पहल वाकई काबिले तारीफ है. यहां बड़े तो बड़े मगर बच्चे भी अपनी जागरूकता का परिचय देने से पीछे नहीं हैं. इस बीमारी से लड़ना है तो हम सबको अपने स्तर पर सावधानियां भी बरतना जरुरी है. ग्रामीणों की जागरूकता की वजह से ही इन गांव में पहले दिन से अभी तक एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नहीं हुआ है.