भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाये। गुणवत्ता नियंत्रण के लिये नया मैकेनिज्म विकसित किया जाये, जो पारदर्शी होने के साथ ही त्वरित कार्रवाई के लिये सक्षम हो।
मुख्यमंत्री चौहान ने यह निर्देश शनिवार को लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक में दिये। बैठक में लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, राज्य मंत्री सुरेश धाकड़, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवीन सड़क मार्गों के निर्माण के साथ ही शहरी क्षेत्र में गुजरने वाली सड़कों का संधारण शीघ्रता से किया जाए। सड़कों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिये जियो टेगिंग टेक्नालॉजी के माध्यम से सेम्पल चयन और गुणवत्ता का परीक्षण किया जाये। उन्होंने कहा कि ऐसी सभी सड़कों का विस्तृत डाटाबेस तैयार करें, जिनका आगामी एक से दो वर्ष में संधारण कार्य करना आवश्यक हो। नवीन सड़कों के चयन में स्थानीय विधायकों के प्रस्ताव प्राथमिकता के साथ जोड़े जायें। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी क्षेत्र का दौरा करें तथा अपनी इंस्पेक्शन रिपोर्ट विभाग के पोर्टल पर लोड करें। इस पोर्टल को सी.एम. डेसबोर्ड से जोड़ा जाये, जिससे वे स्वयं भी आकस्मिक रूप से किसी भी अधिकारी की कार्य प्रगति के विषय में जान सकेंगे।
उन्होंने निर्देश दिये कि 100 करोड़ से अधिक की सभी परियोजनाओं का वार्षिक कैलेण्डर तैयार कर समय-सीमा में पूर्ण करें। उन्होंने कहा कि सीएसआर रेट से कम रेट पर टेण्डर लेने वाले ऐसे ठेकेदार जो निम्न गुणवत्ता का काम करते हैं या काम छोड़कर चले जाते हैं, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाये।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि अटल प्रगति पथ प्रदेश की अति महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसमें भू-अर्जन की कार्रवाई तेजी से करें। राज्य सरकार द्वारा किसान भाइयों को सहमति के आधार पर दोगुनी भूमि देने का प्रस्ताव दिया गया है। जिन किसान भाइयों द्वारा यह योजना स्वीकार की गई है, उन्हें आवंटित भूमि पर पजेशन शीघ्रता से दिलाया जाये।
उन्होंने कहा कि 10 किलोमीटर से कम दूरी की ग्रामीण अंचल की कनेक्टिविटी सड़कों के निर्माण के लिये आरआरडीए, केन्द्रीय सड़क निधि, आरडीसी संयुक्त कार्य-योजना तैयार करे। साथ ही वर्तमान में प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की लगभग 70 हजार किलोमीटर सड़कों के संधारण कार्यों को भी आवश्यकतानुसार जारी रखा जाये। इसके लिये राज्य सरकार आवश्यक धन राशि उपलब्ध करायेगी। उन्होंने रोड डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन के कार्य की प्रशंसा की और कहा कि आरडीसी नई तकनीकि और नवाचार करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी उच्च-स्तरीय एवं पुराने पुलों का सेफ्टी ऑडिट तथा मरम्मत सुदृढ़ीकरण कार्य के लिये एजेंसी का निर्धारण किया जायेगा। उन्होंने लोक निर्माण विभाग की परियोजना क्रियान्वयन इकाई के कार्यों की नियमित समीक्षा के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री प्रत्येक सोमवार को कार्य प्रगति की समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने पोहरी विधानसभा क्षेत्र के इन्दुरुखी पुल के बाढ़ में बह जाने की जाँच रिपोर्ट उन्हें प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिये।
लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि भारत-माला चैलेंज में प्रदेश के 5 बड़े शहर इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर तथा सागर की रिंग रोड/बायपास बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। इस पर लगभग 5 हजार करोड़ रुपये की राशि व्यय की जायेगी। उन्होंने बताया कि इन सड़कों के निर्माण के लिये प्रदेश सरकार को मात्र 50 प्रतिशत भू-अर्जन की राशि व्यय करना होगी। सड़कों का निर्माण एनएचएआई द्वारा किया जायेगा। इस संबंध में विभाग द्वारा प्रारंभिक सर्वे किया गया है। भोपाल शहर में 42 किलोमीटर रिंग रोड 720 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जायेगा। इसी प्रकार इंदौर शहर में 60 किलोमीटर रिंग रोड 980 करोड़ रुपये, जबलपुर शहर में 112 किलोमीटर 2 हजार 178 करोड़ रुपये, ग्वालियर शहर में 29 किलोमीटर रिंग रोड 497 करोड़ रुपये तथा सागर शहर में 42 किलोमीटर रिंग रोड 340 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना प्रस्तावित है।
भार्गव ने बताया कि वर्ष 2021-22 में 3500 करोड़ रुपये की लागत से 105 रेलवे ओव्हर ब्रिज स्वीकृत हुए हैं, जिनमें भू-अर्जन का कार्य प्रगति पर है। यह प्रदेश के लिये एक बड़ी उपलब्धि रही है। (एजेंसी, हि.स.)
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