छिंदवाड़ा: समाज में शिक्षण का पेशा आज भी सबसे पवित्र माना जाता है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा जिले (Chhindwara) के श्रीकांत असराठी जैसे शिक्षक हो तो यह बात खुद प्रमाण बन जाती है. 41 साल 1 माह तक एक ही स्कूल में हजारों बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षक श्रीकांत असराठी के रिटायरमेंट (retirement) में न केवल पूरा गांव उमड़ा बल्कि आसपास के 25 स्कूलों के टीचर भी पहुंचे. श्रीकांत असराठी के रिटायरमेंट के समय हर किसी की आंखें नम हो गई.
दरअसल, छिंदवाड़ा जिले के नेर गांव के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक श्रीकांत असराठी यहां लगातार 41 साल तक बच्चों को पढ़ाते रहे. इस स्कूल से कभी उनका नाता नहीं टूटा. उनका कभी तबादला नहीं किया गया. सोमवार (31 जुलाई) को उन्होंने शिक्षक रहते हुए 41 साल 1 महीने का कार्यकाल पूरा किया.
शिक्षक श्रीकांत असराठी की सेवानिवृत्त का मौका बेहद भावुक मौका बन गया. उन्हें विदाई देने के लिए स्कूल में पूरा गांव मौजूद था. इस मौके पर मौजूद स्कूल के पूर्व छात्र और वर्तमान में जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष अश्वनी रघुवंशी कहते है कि, ‘हमारे सर, (श्रीकांत असराठी) समय के बहुत पाबंद रहे. सर्दी, गर्मी, बरसात मौसम कोई भी हो, सुबह 7 बजे सबसे पहले वही स्कूल पहुंचते थे. कोई बच्चा स्कूल नहीं आता तो उसे घर जाकर स्कूल लेकर आते थे. उनकी इस कर्तव्य निष्ठा का परिणाम था कि उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज राजनीति सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों में नाम रोशन कर रहे हैं.’
गांव के अन्य लोगों ने बताया कि ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि टीचर ने जिस स्कूल से अपनी ड्यूटी ज्वाइन की, उसी स्कूल से रिटायर भी हो रहे हैं. श्रीकांत असराठी ने 2 जुलाई 1982 को नेर गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की थी. उस समय बच्चे स्कूल नहीं आते थे, तब वह घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाते थे. धीरे-धीरे उनका व्यवहार देखकर परिजनों ने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया. स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ती गई. अपने पढ़ाने के अलग तरीके और सरल व्यवहार के कारण वह सभी बच्चों के लिए पसंदीदा शिक्षक बन गए.
लोकप्रिय शिक्षक श्रीकांत असराठी की विदाई की जानकारी लगते ही सिर्फ गांव के लोग ही नहीं बल्कि जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले 25 स्कूलों के शिक्षक भी पहुंच गए. इस मौके पर अश्रुपूर्ण विदाई के साथ गांव के लोगों ने शिक्षक का सम्मान किया. शिक्षा विभाग की ओर से भी रिटायरमेंट पर शिक्षक श्रीकांत असराठी का सम्मान किया गया.
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