सदस्यता के बाद नवंबर में तेज हो जाएगी संगठन की चुनावी प्रक्रिया
इंदौर। भाजपा (BJP) जल्द ही पुरानी कार्यकारिणी (The old executive) के मंडल अध्यक्षों (Divisional Presidents) को रवाना करने वाली है। सदस्यता अभियान (Membership Campaign) समाप्त होते से ही नवम्बर और दिसम्बर में मंडल अध्यक्षों के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, जिसमें नए पदाधिकारियों (Office Bearers) को मौका मिलेगा। इसके लिए कई दावेदारों ने अभी से लॉबिंग भी शुरू कर दी है।
सदस्यता अभियान का दूसरा चरण शुरू होने के बाद अब भाजपा में संगठन चुनाव की सुगबुगाहट भी नजर आने लगी है। साल के अंत तक भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है, वहीं प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्षों को भी बदला जाना है। इसके पहले भाजपा अपने सदस्य बनाने पर जोर डालती है और इस बार सभी को फिर से भाजपा की सदस्यता दिलाई जा रही है। 25 सितम्बर को पहले चरण के बाद अब 1 अक्टूबर से दूसरा चरण शुरू हो चुका है जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे। जिन पदाधिकारियों या कार्यकर्ताओं ने 100 सदस्य बना लिए हैं, उन्हें शुल्क भरना होगा। उसके बाद उन्हें सक्रिय सदस्य बनाया जाएगा। भाजपा अपने संविधान के अनुसार इन्हीं सक्रिय सदस्यों को पदाधिकारी बनाकर आगे भी मौका देती है। हालांकि इंदौर में 200 सक्रिय सदस्य बनाने के लिए कहा गया है। सक्रिय सदस्य की प्रक्रिया भी अक्टूबर आखिरी या नवम्बर माह के शुरुआती सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी और उसके बाद मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का दौर शुरू होगा। शहर में 28 तो गांवों में 15 मंडल हैं, जहां सभी जगह मंडल अध्यक्ष बदले जाएंगे। ये मंडल अध्यक्ष लंबे समय से बने हुए हैं।
इसके बाद नगर और जिला अध्यक्ष का चुनाव भी होगा। अगर चुनाव प्रक्रिया समय पर चलती रही तो दिसम्बर माह में भाजपा के सभी पदों पर नए चेहरे नजर आएंगे। दूसरी ओर सदस्यता अभियान को लेकर दावा किया जा रहा है जल्द ही इंदौर को दिया गया टारगेट पूरा कर लिया जाएगा । इसके लिए नगर संगठन ने कसावट भी शुरू कर दी है और पिछड़़े क्षेत्रों को अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
विधायकों के नजदीकी ही बनते हैं मंडल अध्यक्ष
भाजपा की वैसे तो आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पदाधिकारियों का चुनाव होता है, लेकिन देखा यह जाता है कि क्षेत्रीय विधायक जिसे चाहते हैं, उसे ही मंडल अध्यक्ष के लिए प्रमोट करते हैं। अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में विधायक के नजदीकी ही मंडल अध्यक्ष और अन्य पदों पर दिखाई देते हैं। इंदौर में भी अधिकांश विधानसभाओं में इसी तरह मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं, वहीं अधिकांश वार्ड अध्यक्ष भी विधायक की पसंद के ही बने हैं।
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