भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने सोमवार को विधानसभा (Assembly) को बताया कि बच्चों द्वारा जंक फूड (Junk food) के बढ़ते सेवन का मुद्दा दो विधायकों द्वारा उठाए जाने के बाद खाद्य सुरक्षा और मानक (Food Safety and Standards) दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। प्रश्नकाल के दौरान जबलपुर उत्तर के भाजपा विधायक अभिलाष पांडे (BJP MLA Abhilash Pandey) ने यह मुद्दा उठाया था। विधायक ने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार ने पिछले छह महीनों में फास्ट फूड में मिलावट की जांच के लिए कोई विशेष अभियान चलाया है।
विधायक ने सदन को बताया कि राज्य में फास्ट फूड का सेवन बढ़ रहा है और इससे बीमारियां बढ़ रही हैं। जवाब में,उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला,जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी है, ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। यह मुद्दा गंभीर है। शुक्ला ने सदन को सूचित किया कि खाद्य मिलावट में शामिल लोगों से 9 करोड़ रुपये वसूले गए हैं और कहा कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप तैयार कर रही है। पांडे ने कहा कि ऐसे फास्ट फूड में अजीनोमोटो (मोनोसोडियम ग्लूटामेट का एक ब्रांड नाम),सुगंधित सामग्री और संरक्षक होते हैं। उन्होंने जानना चाहा कि क्या ऐसी सामग्रियों की जांच के लिए कोई दिशानिर्देश हैं?
संयोगवश अभिलाष पांडे ने सदन का ध्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 23 फरवरी के ‘मन की बात’ एपिसोड में मोटापे पर चिंता व्यक्त करने की ओर भी दिलाया। प्रधानमंत्री ने लोगों से खाना पकाने के तेल की खपत कम करने को कहा था। मोदी ने यह भी कहा था कि बच्चों में मोटापे के मामलों में वृद्धि अधिक चिंताजनक पहलू है। इस मुद्दे पर बोलते हुए,मध्य प्रदेश के विधानसभा मामलों के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्होंने हाल ही में इंदौर में बच्चों की दिल का दौरा पड़ने से मौत की घटनाओं के बाद डॉक्टरों की एक बैठक बुलाई थी। इंदौर विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा को बताया कि डॉक्टरों ने जंक फूड के सेवन को कारणों में से एक बताया है। उन्होंने कहा कि भोजन में इस तरह से सामग्री मिलाई जा रही है कि बच्चे इसके आदी हो जाएं।
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