भोपाल। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की आम आदमी के बीच में सकारात्मक छवि स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर ढंग से देने पर बनती है। स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचा एक व्यक्ति स्वास्थ्य केन्द्र में मिलने वाले उपचार और अन्य सेवाओं के बारे में गाँव पहुँचकर दूसरों को भी बताता है। स्वास्थ्य विभाग के जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और उप-स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों और स्टॉफ द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के आधार पर विभाग और सरकार की छवि बनती है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने शुक्रवार को एनएचएम भवन के सभाकक्ष में भोपाल संभाग की स्वास्थ्य विभाग की संभागीय समीक्षा बैठक में यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सीएचओ हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में समय पर उपलब्ध रहें, स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले मरीजों का परीक्षण करें और उन्हें उपचार दें। सीएचओ मरीज के लक्षण के आधार पर आवश्यकता होने पर टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों से मरीज की बात करवा कर उपचार कर सकता है। ऐसे बहुत कम अवसर आते हैं, जबकि सीएचओ और टेलीमेडिसिन के माध्यम से भी मरीज का उपचार नहीं कर पाये। उसे सिविल अस्पताल अथवा जिला अस्पताल रेफर करने की आवश्यकता पड़ती हो।
उन्होंने कहा कि सीएचओ के हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर उपस्थित नहीं रहने पर और टेलीमेडिसिन के लिये बनाये गये हब में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सम्पर्क करने में रुचि नहीं लेने पर मजबूरन मरीज को सिविल अथवा जिला अस्पताल में उपचार कराने जाना पड़ता है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि मरीज के गाँव के पास स्थित हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में उपचार और जाँच की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। नि:शुल्क दवाइयाँ भी उपलब्ध करवाई गई हैं। साथ ही टेलीमेडिसिन के माध्यम से इन केन्द्रों में मरीज सिविल और जिला अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएँ भी प्राप्त कर सकता है। मरीज को उपचार कराने में समय और पैसों, दोनों की बचत होती है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि गाँव के नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में स्टॉफ के नहीं रहने पर मरीज को सिविल अथवा जिला अस्पताल जाना ही पड़ता है। उसे जाने-आने में पूरा एक दिन लग जाता है और आवागमन सहित अन्य साधनों पर उसका अनावश्यक व्यय भी होता है। जो व्यक्ति हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर अथवा स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार के लिये आता है और उचित उपचार मिलता है, तो वह अस्पताल में मिले उपचार और सुविधाओं की जानकारी गाँव में अपने परिचितों और अन्य को भी बताता है। इससे स्वास्थ्य विभाग और सरकार की आम नागरिक के मन में अच्छी छवि बनती है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि चिकित्सक और स्टॉफ सभी निष्ठा और समर्पण से कार्य करें।
बैठक में शिशु स्वास्थ्य, एनसीडी और टेलीमेडिसिन, एनटीईपी, एनयूएचएम कार्यक्रमों सहित प्रशिक्षण, रूटीन टीकाकरण और कोविड-19 टीकाकरण के भोपाल संभाग के विभिन्न जिलों में क्रियान्वयन की समीक्षा हुई।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने बैठक में मौजूद सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यक्रमों पर ध्यान दें। सीएमएचओ कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग पर विशेष ध्यान दें। बैठक में कोविड-19 के बचाव और उपचार के संबंध में भोपाल संभाग के जिलों में की गई व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की गई। भोपाल संभाग के जिलों में लगाये जा रहे पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की प्रगति की भी समीक्षा की गई।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि अस्पतालों में डायलिसिस इकाइयाँ क्रियान्वित रहना चाहिये। डायलिसिस मशीन पुरानी हो चुकी हैं अथवा स्मूथ वर्किंग में सक्षम नहीं है, उन्हें तुरंत बदलने की कार्यवाही करें।
बैठक में एसीएस लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मोहम्मद सुलेमान, स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी, एमडी एनएचएम छवि भारद्वाज, सीईओ एमपीपीएचएससीएल जे. विजय कुमार, संचालक स्वास्थ्य डॉ. पंकज शुक्ला, संचालक एनएचएम डॉ. संतोष शुक्ला, अपर संचालक स्वास्थ्य वीणा सिन्हा, भोपाल संभाग के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन मौजूद थे। (एजेंसी, हि.स.)
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