उज्जैन । उज्जैन (Ujjain) के शमशान घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच केवल दीपोत्सव (Diwali) के दौरान ही सन्नाटा खत्म होता है. रात में यहां चारों तरफ घोर अंधेरा छाया रहता है लेकिन दीपावली पर्व के दौरान देशभर के अघोरी और तांत्रिक (Aghori Tantrik) यहां पहुंचते हैं. पटाखों और फुलझड़ी से अंधेरे को मिटा कर शमशान के सन्नाटे को खत्म कर दिया जाता है. हालांकि दीपोत्सव पर्व को लेकर उनकी अलग धारणा, दावा और मान्यता है.
धार्मिक नगरी उज्जैन को सिद्ध नगरी भी कहा गया है. यहां पर सात्विक और तामसी दोनों ही पूजा सिद्ध मानी जाती है. इसी वजह से देश भर के तांत्रिक यहां पर तंत्र क्रिया करने के लिए आते हैं. दीपावली उत्सव के बीच भी उज्जैन के चक्रतीर्थ शमशान घाट पर अलग ही नजारा देखने को मिलता है. यहां पर अघोरी और तांत्रिक भी धूमधाम के साथ दीपावली मनाते हैं. आमतौर पर अंधेरे में रहने वाले तांत्रिक दीपावली उत्सव को रोशनी और दीपक के बीच पटाखों के साथ मनाते हैं. तांत्रिक बमबम नाथ बाबा ने कहा कि वे मृत लोगों की मोक्ष की कामना के लिए सभी त्यौहार मनाते हैं.
दीपावली उत्सव मनाने के लिए यहां पर कई तांत्रिक और अघोरी का जमघट लग जाता है. शमशान घाट पर चारों तरफ दीपक लगाने का सिलसिला भी शुरू होता है. जब दीपक घाट पर सज जाते हैं तो फिर पटाखे और फुलझड़ी के साथ शमशान का सन्नाटा खत्म हो जाता है.
गृहस्थ जीवन में नहीं हो सकती तांत्रिक क्रिया
तांत्रिक गणेश नाथ ने चर्चा के दौरान बताया कि गृहस्थ जीवन में तांत्रिक क्रिया नहीं हो सकती है. लक्ष्मी प्राप्ति या कर्ज से मुक्ति के लिए तांत्रिक क्रियाओं को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन स्वार्थ की पूर्ति के लिए तांत्रिक क्रिया कम ही सफल होती है. उन्होंने यह भी बताया कि गृहस्थ जीवन में तांत्रिक क्रिया कि जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
5 साल से तांत्रिकों के बीच दीपावली
इंदौर के रहने वाले राजेश सिंह ने बताया कि वह 5 सालों से बाबा बमबम नाथ के साथ दीपावली का पर्व मना रहे हैं. उन्होंने बताया कि दीपावली पर्व पर ही शमशान घाट का सन्नाटा खत्म होता है. बाकी दिनों में यहां रात्रि में कोई नहीं आता जाता है. यहां रात में 12:00 बजे से तांत्रिक क्रियाएं भी चलती रहती है.
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