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    मप्रः राज्य सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की एसएलपी याचिका

  • December 16, 2021

    – प्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव आरक्षण के स्थगन को दी थी चुनौती

    ग्वालियर/भोपाल। उच्चतम न्यायालय ( Supreme Court ) ने बुधवार को मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) को बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने उस एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) को खारिज कर दिया है, जिसमें नगर निमग के महापौर व नगर पालिका, नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के आरक्षण (Reservation for the post of mayor and chairman of municipality, town panchayat) पर मप्र उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीड के स्थगन को चुनौती दी गई थी।

    बता दें कि मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में नगर निगम के महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण को चुनौती देने के लिए अलग-अलग नौ जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। उच्च न्यायालय की युगलपीठ में सभी जनहित याचिकाओं को एक साथ सुना जा रहा है। उच्च न्यायालय ने 12 मार्च 2021 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए दो नगर निगम, 79 नगर पालिका, नगर परिषद के आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और राज्य शासन से जवाब मांगा था।


    उच्च न्यायालय में राज्य शासन ने अपने जवाब में आरक्षण की प्रक्रिया को सही बताया था, लेकिन ये याचिकाएं मप्र उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ में स्थानांतरित हो गई। राज्य शासन ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर कर दी है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने रोक बरकरार रखते हुए याचिकाओं की तारीख बढ़ा दी और उच्चतम न्यायालय के आदेश का इंतजार करने को कहा।

    राज्य शासन द्वारा लगाई गई एसएलपी पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने एसएलपी को खारिज कर दिया। इससे राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। अब जबलपुर उच्च न्यायालय में लगी याचिकाओं की सुनवाई आगे बढ़ सकेगी और जल्द ही अंतिम फैसला आने की उम्मीद है। इससे नगरीय निकाय के आरक्षण का मामला सुलझ सकेगा और नगरीय निकाय चुनावों का रास्ता भी साफ हो जाएगा। दरअसल, अदालत के स्टे के कारण नगरीय निकाय के चुनावों पर फिलहाल रोक लगी हुई है।

    बता दें कि याचिकाकर्ता रवि शंकर बंसल ने डबरा नगर पालिका के अध्यक्ष पद के आरक्षण को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में तर्क दिए थे कि महापौर व नगर पालिका, नगर परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जो नगर निगम व नगर पालिका के अध्यक्ष पद लंबे समय से आरक्षित हैं। इस कारण दूसरे लोगों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल पा रहा है। आरक्षण के रोस्टर का पालन करना चाहिए। इस याचिका में स्टे आदेश आने के बाद 8 याचिकाएं और आ गईं। मनवर्धन सिंह की जनहित याचिका में 2 निगम व 79 नगर पालिका व नगर परिषद के आरक्षण पर रोक लगा दी। राज्य शासन ने इन दोनों याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। (एजेंसी, हि.स.)

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