भोपाल। मध्य प्रदेश तेंदुआ स्टेट का खिताब बरकरार रखने में कामयाब रहा है। दिसंबर 2017 से मार्च 2018 तक देशभर में चले बाघ आकलन (टाइगर स्टीमेशन) के दौरान प्रदेश में 3421 तेंदुए गिने गए हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। सोमवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने तेंदुआ गिनती के आंकड़े घोषित किए हैं। वर्ष 2014 की गिनती में प्रदेश में 1817 तेंदुए थे। इस तरह चार साल में 1604 तेंदुए बढ़े हैं। वह भी तब, जब हर साल औसत 60 तेंदुओं की विभिन्न कारणों से मौत हो जाती है। दो साल पहले हुए गिनती से सामने आए इस आंकड़े में 80 फीसदी तेंदुए ऐसे हैं, जो ट्रेप कैमरे ने क्लिक किए हैं। 1783 तेंदुओं के साथ कर्नाटक देश में दूसरे नंबर पर रहा है। बाघ स्टेट के बाद प्रदेश को तेंदुआ स्टेट का तमगा मिलने से सरकार और वन अधिकारी खुश हैं। देश में सर्वाधिक 526 बाघ मध्य प्रदेश में हैं और अब सर्वाधिक 3421 तेंदुआ भी यहीं हैं। वर्ष 2017 एवं 2018 में की गई गिनती में प्रदेश में 3271 से 3571 तेंदुए गिने गए। इनमें से 80 फीसद को ट्रैप कैमरे ने क्लिक किया था। इसमें से भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों ने औसत 3421 का आंकड़ा निकाला है। एक साल पहले ही वन विभाग ने तेंदुओं की आंतरिक गिनती कराई थी। जिसमें उन 16 जिलों में तेंदुओं की उपस्थिति के प्रमाण मिले थे, जिनमें तीन दशक से एक भी तेंदुआ नहीं देखा गया था। तभी से वन अधिकारियों को यह तो अनुमान था कि प्रदेश, देश में पहले स्थान पर रहेगा, पर संख्या इतनी बढ़ेगी, इसका अनुमान नहीं था। इसे संयोग ही कहेंगे कि बाघ के बाद तेंदुओं की गिनती में भी कर्नाटक दूसरे नंबर पर रहा है। जबकि तीसरा नंबर महाराष्ट्र का है। वहां 1690 तेंदुए गिने गए हैं।
लगातार दूसरी बाद सिरमोर
तेंदुओं के मामले में मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बर सिरमोर बना है। वर्ष 2014 में देश में पहली बार तेंदुओं को गिनती में शामिल किया गया और प्रदेश में 1817 तेंदुए गिने गए। जबकि कर्नाटक तब भी दूसरे नंबर पर था। वहां 1129 तेंदुए गिने गए थे।
पर्यटन को लगेंगे पंख
उम्मीद की जा रही है कि तेंदुआ गिनती की रिपोर्ट के बाद प्रदेश में वन्यप्राणी पर्यटन को पंख लग जाएंगे। राज्य सरकार वन्यप्राणी पर्यटन बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है। ऐसे में यह रिपोर्ट बाहरी पर्यटकों को मप्र में आने के लिए आकर्षित करेगी।
16 जिलों में पहली बार दिखे तेंदुए
वन विभाग ने वर्ष 2017 में आंतरिक गिनती कराई थी। जिसमें बैतूल, शहडोल, खंडवा, सागर, डिंडौरी, छतरपुर, सिंगरौली, सतना सहित 16 जिलों में पहली बार तेंदुआ की उपस्थिति के प्रमाण मिले थे। इन जिलों में पिछले दो-तीन साल में तेंदुओं का मूवमेंट शुरू हुआ था, जबकि प्रदेश के 30 जिलों में पहले से तेंदुए पाए जाते थे। जानकार बताते हैं कि वर्ष 2000 तक प्रदेश में 3600 से ज्यादा तेंदुआ थे, लेकिन दुर्घटना, शिकार और स्वाभाविक मौतों के चलते संख्या तेजी से कम होती गई, जो 1800 तक आ गई थी। प्रदेश में बाघों के संरक्षण के प्रयासों के चलते इसकी संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved