जबलपुर (Jabalpur) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर शहर (Jabalpur City) में इन दिनों चीतों (Cheetah) पर बड़ा काम चल रहा है. यहां के नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर में चीते की मौत (Cheetah Death) के कारणों का पता लगाया जा रहा है. पहली बार नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से आए हुए चीतों की मौत के बाद उनका विसरा जांच के लिए इस सेंटर में लाया गया हैं. अभी तक मृत तीनों चीतों की मौत की प्रारंभिक वजह का पता लगा लिया गया है.
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर की डायरेक्टर डॉ शोभा जावर का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत की वजह चीतों की आपसी लड़ाई है. दक्षा के शरीर पर कई जानलेवा हमले किए गए थे. इसमें उसके सिर पर एक गहरा घाव हो गया था, जिसकी वजह से दक्षा की मौत हो गई.फिलहाल सेंटर में दक्षा की मौत की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है. यहां बताते चलें कि दक्षा की मौत साउथ अफ्रीकी चीते से मेटिंग के दौरान होने की जानकारी वन विभाग ने दी थी. विभाग का यह भी कहना था साउथ अफ्रीकी प्रजाति के चीते मेटिंग के दौरान हिंसक हो जाते हैं.
विशेषज्ञों ने चीतों के मौत की बताई ये वजह
वहीं, डॉ. शोभा ने बताया कि पहले चीते साशा की मौत कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के फेल हो जाने की वजह से हुई थी. उसके शरीर में किडनी ने काम करना बंद कर दिया था. इसकी वजह से वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाया और उसकी मौत हो गई. स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक के वैज्ञानिकों ने दूसरे चीते उदय की मौत के बाद आए सैंपल्स की भी विस्तृत जांच की है.जांच के बाद यह पाया है कि उदय की मौत मिक्स्ड इंफेक्शन से हुई थी.इसमें बैक्टीरियल और वायरल इनफेक्शन पाया गया था. डॉ शोभा के मुताबिक वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए वायरोलॉजी लैब में भेजे गए हैं.जहां से यह पता लग पाएगा कि उदय को कौन से वायरस और बैक्टीरिया से इंफेक्शन हुआ था.
चीतों को जिंदा रखने के लिए किया जा रहा वैज्ञानिक परीक्षण
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर की डायरेक्टर डॉ शोभा जावर का कहना है कि अभी भी 17 पुराने अप्रवासी चीते और चार नए शावक कूनो नेशनल पार्क में है. इन्हें बचाए रखने के लिए चीतों की मौत के बाद उसका वैज्ञानिक परीक्षण जरूरी है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि चीतों के लिए कौन से वायरस और बैक्टीरिया खतरनाक हैं. एक बार यह जानकारी प्रमाणित ढंग से सभी को पता लग जाए तो चीतों के पालन,पोषण और संरक्षण में पार्क प्रबंधन को मदद मिलेगी. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस के डीएनए तक की जांच की जा रही है.
जन्म के सात महीने होगा शावकों के नामों का खुलासा
यहां बता दे कि दक्षिण अफ्रीका से 12 और नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. मार्च में सियाया नाम की एक नामीबियाई चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था. वन विभाग की निगरानी में शावकों को रखा गया है. सियाया 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से भारत आई थी. शावकों के जन्म से तीन महीने की अवधि के बाद उनके लिंग का खुलासा किया जाएगा.
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